Monday, October 21, 2019

औलाद 


समाज में व्यापत बुराईयों पर किसे दोष दूँ! जब अपनी ही औलाद  सही मार्ग का अनुसरण न करें और संस्कार हीन हो ...
ऐसे हर बिगड़े  बेटे और बेटियों की माँ  का आत्ममंथन…
****
बेटे तेरे कृत्यों पर  मैं  शर्मिन्दा हूँ
कोख शर्मसार हुई , क्यों जिन्दा हूँ ।

रब से की थी असंख्य दुआएं,
प्रभु से की मंगलकामनाएं ।
पग पग पर आँचल फैलाये
तुम पर कोई आंच न आये ।

लाड़ प्यार संग नैतिकता 
का तुमको पाठ पढ़ाया  था ।
कहाँ हो गयी चूक हमसे,जो
तुमने गलत कदम बढ़ाया था ।

लाड़ प्यार के अतिरेक में
तुम बिगड़ते  चले गए,या 
तुम्हारी गलतियों को हम
 नजरअंदाज करते गए ।

कहाँ तुम कमजोर पड़ गए!
क्यों तुम मजबूर हो गए 
एक नेक  भले  इंसान से  
तुम  कैसे हैवान बन गए ।

हैवानियत भी आज शरमा रही
तुम संग स्वयं से घृणा हो रही
मेरा दूध आज लजा रहा ,
दूसरे को क्या दोष दे ,जब
अपना ही सिक्का खोटा हो रहा ।

जब मासूमों से दरिन्दगी करते हो 
उनमें अपनी माँ बहने नहीं देख पाते हो।
गरीबों की चीखें सुन नहीं पाते 
बददुआयों से तिजोरियाँ भरते हो ।
और भी न जाने क्या क्या 
तुम अपराध किया करते हो ।

मेरे बच्चों
मत करो  शर्मिन्दा मुझे
अभी समय है चेत जाओ
अपराधों की सजा भुगत 
पश्चाताप कर सुधर जाओ।

नेक रास्ते पर कदम बढ़ा ,
दूध का कर्ज चुका जाओ ।
देश का भविष्य हो तुम 
समाज  में नई चेतना जगा जाओ ।

स्वरचित
अनिता सुधीर

13 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 22 अक्टूबर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. जी सादर अभिवादन

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  3. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना 23 अक्टूबर 2019 के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  4. वातावरण से चाहे अनचाहे अच्छे संस्कारित घरों के बच्चे भी गलत राह पर चले जाते हैं। और यह हर पेरेंट्स की चिंता का विषय है। सार्थक विषयगत रंचना के लिए साधुवाद

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    1. आ0 आप की सराहना के लिए सादर अभिवादन और रचना के मर्म को समझने के लिए हार्दिक आभार

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  5. मन को नम करती रचना
    बहुत खूब
    सादर

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  6. आधुनिकता और fashion का ढोल जमकर पीटा जा रहा है


    संस्कृति और संस्कार को सिरे लगाया जा रहा है ये बहुत गम्भीर है

    सुन्दर रचना के लिए शुभकामनाएँ

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  7. Jee सही कहा ,सादर आभार

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  8. कहीं ना कहीं कुछ कमी रह रही है लालन पालन में या शिक्षा में....बच्चों के व्यवहार में आता खतरनाक परिवर्तन चिंता का विषय है। माता पिता के दर्द को कौन समझेगा ? उल्टा बच्चे के बिगड़ने का जिम्मेदार पूरी तरह उनको ही ठहरा दिया जाता है। बिल्कुल सटीक रचना।

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    1. जी सत्य कहा है आपने ,समस्या की जड़ें भी एक दूसरे से उलझी हुई है तो समाधान भी क्या निकले

      सराहना के लिए सादर आभार

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  9. ऐसे में माता-पिता जीते जी मर जाते हैं
    जब उनके संस्कारों पर सवाल उठाए जाते हैं
    बहुत ही सटीक सुन्दर सार्थक लाजवाब सृजन...
    वाह!!!

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  10. ऊँगली भी मां की तरफ ही उठती है

    आ0 सादर अभिवादन



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