तितली के रंगीन परों सी जीवन में सारे रंग भरे चंचलता उसकी आँखों में चपलता उसकी बातों मे थिरक थिरक क

Wednesday, September 11, 2019

विधाता छन्द
1222 1222, 1222 1222

विराजो शारदे माँ तुम,नया आसन बिछाते हैं
तुम्हारे ही कृपा से  हम ,नया अब गीत गाते  हैं।

सजा दो लेखनी  मेरी,मिटा दो बीच की दूरी
तुम्हारी ही कृपा से हम,विधा नित सीख पाते हैं।

 सजाते भाव के मोती,चढ़ाते शब्द की माला,
तुम्हारी ही कृपा से हम,अनोखे पद रचाते हैं ।

लिखें गाथा शहीदों की ,कहें सब सच जमाने का
तुम्हारी  ही कृपा से हम, निडरता से बताते हैं ।

अंधेरी रात में तुम ही ,दिये की रोशनी बनती
तुम्हारी ही कृपा से हम,उजाला देख पाते हैं ।

©anita_sudhir

5 comments:

  1. जय मां शारदे, बहुत सुंदर

    ReplyDelete
    Replies
    1. जय माँ शारदे
      सादर धन्यवाद

      Delete
  2. ब्लाॅ॑ग जगत में स्वागत है अनिता जी।
    प्रथम मां शारदे की स्तुति के साथ बहुत सुंदर शुरुआत आप का फर्लांग सफर शान से आगे बढ़े ।
    शुभकामनाएं।

    ReplyDelete
    Replies
    1. आ0 आपका हार्दिक आभार

      Delete
  3. ब्लाग सफर पढ़े कृपया।

    ReplyDelete