तितली के रंगीन परों सी जीवन में सारे रंग भरे चंचलता उसकी आँखों में चपलता उसकी बातों मे थिरक थिरक क

Wednesday, September 25, 2019


बस यूँ ही ,

22  22   22   22    22   2
भारत का वो स्थान बना दे या मौला।
वो फिर से पहचान बना दे या मौला ।।

तुम तक कैसे श्रद्धा के फूल चढाऊँ
दर तक इक सोपान बना दे या मौला ।

हर भूखे को रोटी मिलती जाये अब
ऐसा तू हिंदुस्तान बना दे या मौला ।

सपनों में वो अब खोये से रहते हैं
उस दर का दरबान बना दे या मौला।

शब्दों से जज्बात पिरोया करते हैं
'अनिता' की पहचान बना दे या मौला ।

3 comments:

  1. कहना-सुनना तो सब ही कर लेते हैं,
    तू कर्मठ इंसान बना दे या मौला .

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  2. पूर्णता दे दी आपने रचना को आ0
    धन्यवाद

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  3. बहुत शानदार अशआर

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