प्रपंच
***
मूल अर्थ लुप्त हुआ
नकरात्मकता का सृजन हुआ
नई परिभाषा रच डाली
प्रपंच का प्रपंच हुआ ।
पंच का मूल अर्थ संसार
"प्र" ,पंच को देता विस्तार
क्षिति ,जल,पावक ,गगन समीर
पांच तत्व का ये संसार
और पंचतत्व की काया है ।
"प्र" लगे जब सृष्टि में,अर्थ
अद्भुत अनंत विस्तार हुआ,
नश्वर काया मे प्र जुड़ कर
भौतिकता का विस्तार करे
अधिकता इसकी ,जीवन
का जंजाल और झमेला है
स्वार्थ सिद्धि हेतु लोग
छल का सहारा ले
नित नए प्रपंच रचते हैं
अनर्गल बातों का दुनिया
में प्रचार किये फिरते हैं ।
प्रपंच मूल संसार नहीं
प्रपंच माया लोक हुआ
मूल अर्थ न विस्मृत कर
प्र को और विस्तृत कर ।
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मूल अर्थ लुप्त हुआ
नकरात्मकता का सृजन हुआ
नई परिभाषा रच डाली
प्रपंच का प्रपंच हुआ ।
पंच का मूल अर्थ संसार
"प्र" ,पंच को देता विस्तार
क्षिति ,जल,पावक ,गगन समीर
पांच तत्व का ये संसार
और पंचतत्व की काया है ।
"प्र" लगे जब सृष्टि में,अर्थ
अद्भुत अनंत विस्तार हुआ,
नश्वर काया मे प्र जुड़ कर
भौतिकता का विस्तार करे
अधिकता इसकी ,जीवन
का जंजाल और झमेला है
स्वार्थ सिद्धि हेतु लोग
छल का सहारा ले
नित नए प्रपंच रचते हैं
अनर्गल बातों का दुनिया
में प्रचार किये फिरते हैं ।
प्रपंच मूल संसार नहीं
प्रपंच माया लोक हुआ
मूल अर्थ न विस्मृत कर
प्र को और विस्तृत कर ।
जी सादर अभिवादन
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteअतिसुन्दर✍
ReplyDeleteजी सादर अभिवादन
ReplyDeleteक्या बात है सुंदर .....
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