तितली के रंगीन परों सी जीवन में सारे रंग भरे चंचलता उसकी आँखों में चपलता उसकी बातों मे थिरक थिरक क

Sunday, November 24, 2019

आधार छंद - विधाता (मापनी युक्त मात्रिक)
मापनी - 1222. 1222. 1222. 1222
समांत - ' आया ' , पदांत - ' है ' .
महाराष्ट्र के घटनाक्रम पर
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निलामी हो रही उनकी,उन्हें बस में बिठाया है,
लगी है हाजिरी उनकी ,उन्हें कैदी बनाया है ।

तमाशा वो दिखाते हैं कपट का खेल जारी है ,
खिलाड़ी वो पुराने हैं,समझ कोई न पाया है ।

कहानी ये पुरानी है ,लिखी हर बार जाती है,
चुनावों का सबब देखो,नतीजा खुद सुनाया है ।

न जाने कल कहाँ होगी ,किसी को ज्ञात कैसे हो,
सियासी चाल में देखो ,सभी को अब फँसाया है ।

मुकद्दर में लिखा क्या है,सभी कल जान जाओगे,
कि दिल ये थाम के बैठो ,कचहरी कल  बुलाया है।

किया बदनाम तुमने जो ,छिछोरी हरकतें करके
दिखाना चाहते क्या हो  , सही अंजाम पाया है!

अनिता सुधीर

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