जेब
कुंडलिया
खाली हो यदि जेब तो ,बिखरे मन की आस।
धन से परि पूरित रहे , देती मन विश्वास ।।
देती मन विश्वास , जेब की महिमा न्यारी ।
मिलता है सम्मान ,जेब हो जिसकी भारी।।
रौनक है त्यौहार ,जेब से मने दिवाली।
सत्कर्मों से जेब भर , यहाँ से जाना खाली ।।
©anita_sudhir
सत्कर्मों से जेब भर , यहाँ से जाना खाली
ReplyDeleteरुपए पैसे की महत्वता है... जरूर मगर जब जाना होगा इस लोक से दूसरे लोक में बस हमारे सत्कर्म ही हमारे साथ जाएंगे.... अंतिम पंक्तियों ने पूरी रचना के सार को प्रदर्शित कर दिया बहुत खूब लिखा आपने👌
आप की इतनी सुंदर प्रतिक्रिया से लेखन सफल रहा आ0 ,
Deleteसादर आभार
बहुत ही बेहतरीन
ReplyDeleteजी धन्यवाद
ReplyDelete