इसका महाराष्ट्र से कोई लेना देना नहीं है 🤑🤑मुहावरों का प्रयोग
"कहीं की ईंट,कहीं का रोड़ा "
"भानुमति ने कुनबा जोड़ा ।"
सबके "हाथ पाँव फूले" हैं,
दोस्ती में "आँखे फेरे "है।
"फूटी आंख नही सुहाते "
वो अब "आँखों के तारें" है ।
कब कौन किस पर" आंखे दिखाये"
कब कौन कहाँ से "नौ दो ग्यारह हो जाये" ।
"विपत्तियों का पहाड़" है
"गरीबी मे आटा गीला "हो जाये ।
"बंदरबांट "चल रही
"अंधे के हाथ बटेर " लगी
पुराने "गिले शिकवे भूले "हैं
"उलूक सीधे कर" रहे
"उधेड़बुन में पड़े"
"उल्टी गंगा बहा" रहे
जो "एक आँख भाते नहीं "
वो "एक एक ग्यारह हो रहे"
कौन किसको "ऊँगली पर नचायेगा"
कौन" एक लाठी से हाँक पायेगा"
"ढाई दिन की बादशाहत" है
"टाएँ टाएँ फिस्स मत होना "।
"दाई से पेट क्या छिपाना "
बस "पुराना इतिहास मत दोहराना" ।
अनिता सुधीर
"कहीं की ईंट,कहीं का रोड़ा "
"भानुमति ने कुनबा जोड़ा ।"
सबके "हाथ पाँव फूले" हैं,
दोस्ती में "आँखे फेरे "है।
"फूटी आंख नही सुहाते "
वो अब "आँखों के तारें" है ।
कब कौन किस पर" आंखे दिखाये"
कब कौन कहाँ से "नौ दो ग्यारह हो जाये" ।
"विपत्तियों का पहाड़" है
"गरीबी मे आटा गीला "हो जाये ।
"बंदरबांट "चल रही
"अंधे के हाथ बटेर " लगी
पुराने "गिले शिकवे भूले "हैं
"उलूक सीधे कर" रहे
"उधेड़बुन में पड़े"
"उल्टी गंगा बहा" रहे
जो "एक आँख भाते नहीं "
वो "एक एक ग्यारह हो रहे"
कौन किसको "ऊँगली पर नचायेगा"
कौन" एक लाठी से हाँक पायेगा"
"ढाई दिन की बादशाहत" है
"टाएँ टाएँ फिस्स मत होना "।
"दाई से पेट क्या छिपाना "
बस "पुराना इतिहास मत दोहराना" ।
अनिता सुधीर
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 22 नवम्बर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteजी सादर धन्यवाद
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