तितली के रंगीन परों सी जीवन में सारे रंग भरे चंचलता उसकी आँखों में चपलता उसकी बातों मे थिरक थिरक क

Monday, November 25, 2019


आज की नारी

दस भुजा अब रक्खे नारी ,करते तुम्हें प्रणाम
बाइक पर सवार हो, तुम चलती खुद के धाम।

सरस्वती अन्नपूर्णा हो तुम,लिये मोबाइल हाथ
पुस्तक बर्तन लैपटॉप  ,रहते तेरे साथ ।


ममता की देवी करें कुरीतियों पर प्रहार
पर्याय शक्ति कौशल की , करती बेड़ा पार ।

श्रृंगार बिन अधूरी ,सजाती चूनर लाल
कामकाजी गृहिणी हो तुम ,उन्नत तेरा भाल ।।

2 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 26 नवम्बर 2019 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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