तितली के रंगीन परों सी जीवन में सारे रंग भरे चंचलता उसकी आँखों में चपलता उसकी बातों मे थिरक थिरक क

Friday, November 29, 2019


विधा      चौपाई
विषय    माँ और  बच्चों के  मनोभाव को दिखाने का प्रयास
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माँ  के मनोभाव
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होती चिन्ता चिता समाना ।मरम नहीं पर मेरा जाना।।
हर आहट पर सहमी जाती। संतति जब तक घर नहि आती।।
सब कहते हैं चिन्ता  छोडें।कैसे अपनों से मुख मोड़ें।।
लहु से सींचा पाला तुमको । दिन अरु रात न भूले तुमको ।।

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संतान

बड़े हुये अब हम सब बच्चे।नहीं रहे कोई हम कच्चे।।
साथ आपका सदैव रहता,किसी स्थिति में डर नहि लगता।।
रोग नहीँ माँ कोई घेरे ।बच्चे  चिन्ता करते  तेरे।।
हम बच्चों का आप सहारा । आप बिना कुछ लगे न प्यारा।।

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सुने शब्द बच्चों के मुख से।छलकी आंखें माँ की सुख से।
किस्मत वाले उनको कहते ।मातु पिता बच्चों सँग रहते ।।,
हालत पूछो जाकर उनसे,शीश हाथ नहि पाया कबसे ।।
बना रहे रिश्तों का बंधन।करें सभी मिल कर ये वंदन।।


अनिता सुधीर

6 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 29 नवम्बर 2019 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. जी सादर अभिवादन

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