तितली के रंगीन परों सी जीवन में सारे रंग भरे चंचलता उसकी आँखों में चपलता उसकी बातों मे थिरक थिरक क

Tuesday, November 5, 2019

*चार सौ बीस

संख्याओं का मुहावरों में क्या खूब प्रयोग है ,
कहीं चार सौ बीसी ,कहीं नौ दो ग्यारह योग है।
चार सौ बीसी का चलता क्या फर्जीवाड़ा है ,
अधिकार छीन दूसरों का,करें अपना वारा न्यारा है।
कहां से शुरू कर , चारसौ बीसी गिनाए
जिधर नजर  दौड़ाई सब  लिप्त नजर आए।
शिक्षा के लिए पोशाक,पुस्तकें सरकार भिजवाए ,
छात्रवृत्ति ,मिड डे मील की सुविधा का लाभ दिलाएं
 फर्जी वाड़ा का खेल  बड़ा निराला होता है
खाली पाठशाला,छात्र का पंजीकरण वहाँ होता है ।
राशन की दुकानों में चलता फर्जीवाड़ा है
फर्जी संस्थाओं के नाम पर करोड़ों का हवाला है।
चालक लाइसेंस बनाने में दलालों का हाथ है
चार सौ बीसी से कचहरी में सबूतों से छेड़छाड़ है ।
कहीं चार सौ बीसी  से सरकारें बनती गिरती हैं
कहीं नेताओं के कारनामों की फेहरिस्त लंबी होती है।
 नई-नई योजनाओं के नाम पर चार सौ बीसी है
भ्रम फैलाते विज्ञापन करते  मुख अंदर बत्तीसी है ।
चार सौ बीसी का इतिहास बड़ा पुराना है
कहीं इतराना  ,कहीं गवांना तो कहीं नजराना है ।
भोली भाली शक्लों पर कुछ लिखा नहीं होता,
जितना बड़ा नाम उतना ही बड़ा खेल होता है।
कोई माल्या ,नीरव बन विदेश  घूमते हैं
आशाराम ,रामरहीम जेलों  में सड़ते हैं।
कब तक  ये चार सौ बीसी चलती रहेगी
दिल दुखा दूसरों का तिजोरी भरती रहेगी ।
अन्तर्मन की आवाज कब सुन पाओगे
 सतकर्मों के अलावा साथ क्या ले जाओगे
बाज आओ चार सौ बीसी से
वक़्त की चाल बड़ी  बेरहम होती है
 नीयत सुधार कर जीवन जीना होगा खुशी से ।
©anita_sudhir

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