तितली के रंगीन परों सी जीवन में सारे रंग भरे चंचलता उसकी आँखों में चपलता उसकी बातों मे थिरक थिरक क

Monday, December 2, 2019

दोहा गजल


मन में कोमल भाव नहि,यही प्रेम आधार।
व्यथित !जगत की रीति से,कैसे निम्न विचार।।

नफरत की आँधी चली ,बढ़ा राग अरु द्वेष,
अपराधी अब बढ़ रहे, दूषित है आचार ।

जग में ऐसे लोग जो ,करें नारि अपमान
व्याधि मानसिक है उन्हें ,रखते घृणित विकार ।

निम्न कोटि की सोच से,करते वो दुष्कर्म
लुप्त हुई संवेदना ,क्या इनका  उपचार ।

रंगहीन जीवन हुआ,लायें सुखद प्रभात,
संस्कार की नींव हो,मिटे दिलों के रार ।

स्वरचित

1 comment:

  1. गहरी बात करता हुआ है हर दोहा ग़ज़ल ...

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