गजल
आप की नजरें इनायत हो गयी
आप से मुझको मुहब्बत हो गयी।
इश्क़ का मुझको नशा ऐसा चढ़ा
अब जमाने से अदावत हो गयी ।
तुम मिले सारा जहाँ हमको मिला
यूँ लगे पूरी इबादत हो गयी।।
ये नजर करने लगी शैतानियां
होश खो बैठे कयामत हो गयी।
जिंदगी सँग आप के गुजरा करे
सात जन्मों की हकीकत हो गयी।
बहुत उम्दा ग़ज़ल ।
ReplyDeleteये नजर करने लगी शैतानियां
होश खो बैठे कयामत हो गयी।
वाह।
Jee सादर आभार
Deleteबढ़िया सृजन 👏 👏
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