नई सोच
शीत लहर का प्रकोप चरम सीमा पर था । शासन के आदेश अनुसार सभी विद्यालय बंद हो गये थे ।बच्चों की छुट्टियाँ थी इतनी ठंड में सभी काम निबटा लेकर नीता रज़ाई में घुसी ही थी ,कि दरवाज़े की घंटी बजी ।
इतनी ठंड में कौन आया ,नीता बड़बड़ाते हुए उठी ।
(दरवाजे पर कालोनी के कुछ बच्चों और लड़कों को देखकर )
नीता - तुम लोग इतनी ठंड में ?
रोहन - आंटी एक रिक्वेस्ट है आपसे ,यदि कोई पुराने गर्म कपड़े ,कम्बल आदि आपके पास हो तो प्लीज़ साफ़ कर के उसे पैक कर दीजिए ,हम लोग उसे दो तीन दिन में आकर ले जाएँगे ।
नीता - (आश्चर्य से )तुम लोग इसका क्या करोगे ?
रोहन - (जो इन सबमें सबसे बड़ा कक्षा १२ का छात्र था )
आंटी इतनी ठंड पड़ रही है,कुछ बच्चों को ठिठुरते देखा तो हम सबने ये सोचा कि इनकी सहायता कैसे करें !
तो हम सभी ने ये तय किया कि सबके घर में पुराने छोटे कपड़े होते ही हैं वो इकट्ठा कर इन ज़रूरतमंद लोगों को दे सकते हैं ।उनकी क्रिसमस और नए साल का गिफ़्ट हो जाएगा ,ठंडक से आराम और हमारी छुट्टियों का सदुपयोग भीं हो जाएगा ।
नीता - मंत्रमुग्ध सी रोहन की बात सुन कर , बेटा मैं तुम्हारे विचारों से बहुत प्रभावित हुई हूँ ,क्या तुम लोगों ने अपने घर में बात कर ली है !
रोहन - आंटी पापा को बताया था , वो बहुत ख़ुश हुए और उन्होंने हमारी पूरी सहायता करने को कहा है ।ये सब बाँटने में वो हमारे साथ होंगे ।
नीता - (सोचते हुए )धन्य हैं रोहन के माता पिता जिन्होंने इतने अच्छे संस्कार दिए । जब आज की पीढ़ी नए साल की पार्टी में नशे में चूर हो डान्स में डूब जाती है तो ये विचार समाज में एक नयी सुबह ले कर आयेगा ,निश्चिन्त हूँ जब तक ये संवेदनशीलता हमारी सोच में रहेगी हमारी संस्कृति की रक्षा सदैव रहेगी । मुस्कुराते हुए वो गर्म कपड़े निकालने चल दी थी ::
©anita_sudhir
नमन और साधुवाद आपको .. आपकी इस नेक सन्देश देती रचना .. शायद एक लघुकथा .. कई जगहों पर यह यथार्थ में सच्ची घटना भी है, जहाँ सेल्फ़ी "चमकाने" के लिए कुछ नहीं होता
ReplyDeleteबहुत अच्छी सलाह, दिग्भ्रमित समाज को
आ0 आप के स्नेह के लिए आभार
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