दोहा गीत
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लगा दाँव पर अस्मिता ,करते हैं व्यापार।
रंग हुआ आतंक का ,नेताओं की रार ।।
निम्न कोटि के हो रहे ,नेताओं के बोल,
मूल्यों को रख ताक पर,देते ये विष घोल ।
नायक जनता के बनें,करिए दूर विकार ।
अपने हित को त्यागिये,रखिए शुद्ध विचार।
याद करें संकल्प ये ,देश प्रेम आधार ।
रंग...
जाति धर्म निज स्वार्थ दे,गद्दारी का घाव ।
देश भक्ति ही धर्म हो ,रखे एकता भाव।
जन जन की वाणी बनो,अमर देश का नाम,
राजनीति को अब मिले ,एक नया आयाम।
भारत के निर्माण में ,बहे एकता धार ।
रंग ...
युग ये कैसा आ गया ,चरण वंदना धर्म।
झूठे का गुणगान ही ,बनता जीवन मर्म ।
अपने हित को साधिये,सदा देश उपरांत ।
देशप्रेम अनमोल है ,अडिग रहे सिद्धान्त।
सच्चाई की राह पर,रुको नहीं थक हार ।
रंग ...
स्वरचित
अनिता सुधीर 'आख्या'
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ReplyDeleteआ0 आप का हार्दिक आभार
ReplyDeleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (21-02-2020) को "मन का मैल मिटाओ"(चर्चा अंक -3618) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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अनीता लागुरी"अनु"
आ0 रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार
Deleteनिम्न कोटि के हो रहे ,नेताओं के बोल,
ReplyDeleteमूल्यों को रख ताक पर,देते ये विष घोल ।
बहुत सटीक एकदम खरीखरी....
लाजवाब दोहे....
वाह!!!!
लगा दाँव पर अस्मिता ,करते हैं व्यापार।
ReplyDeleteरंग आतंक का हुआ ,नेताओं की रार ।।
एक सलाह है। इसमें यूँ बदलाव करके देखिए, लय अच्छी बैठेगी।
लगा दाँव पर अस्मिता ,करते हैं व्यापार।
रंग हुआ आतंक का,नेताओं की रार ।।
बहुत अच्छी रचना है समाजजागृति का संदेश देती हुई....
जी आ0 आपके मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार
Deleteअभी सुधार करते हैं
आ0 यहाँ ठीक नही हो पा रहा ,
Deleteअपनी रचना में कर लेते हैं
वाह!बेहतरीन रचना प्रिय सखी ।
ReplyDeleteदेशप्रेम अनमोल है ,अडिग रहे सिद्धान्त।
ReplyDeleteसच्चाई की राह पर,रुको नहीं थक हार ।
बहुत खूब ,सादर नमन आपको
"झूठे का गुणगान ही,बनता जीवन मर्म" - वर्तमान की सटीक व्याख्या है।
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