गीता
कुण्डलिनी
**
1)
गीता का उपदेश ये, कर्म करो निष्काम।
लोभ मोह अरु क्रोध तज, जपो कृष्ण का नाम।
जपो कृष्ण का नाम ,भरे फिर पनघट रीता ।
रहो सदा समभाव , यही कहती है गीता ।
2)
गीता का हूँ श्लोक मैं,'वाणी'और कुरान ।
संग बाइबिल को लिये,है हिन्द संविधान ।
है हिन्द संविधान,घूँट क्यों विष का पीता ।
कसम दिलाना बाद ,समझ लो पहले गीता ।
3)
कल की चिंता छोड़िये,तन को नश्वर जान ।
अजर अमर आत्मा रहे ,ये गीता का ज्ञान ।
ये गीता का ज्ञान,लोभ से गागर छलकी ।
छोड़ें माया मोह ,करें क्यों चिंता कल की ।
4)
पावन गीता ग्रंथ का ,अंतिम क्षण में पाठ ।
करे मोक्ष की कामना,सजे चिता अब काठ ।
सजे चिता अब काठ,यहीं छूटा जग भावन ।
करिये सदा प्रयास ,रहे यह जीवन पावन ।
कुण्डलिनी
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1)
गीता का उपदेश ये, कर्म करो निष्काम।
लोभ मोह अरु क्रोध तज, जपो कृष्ण का नाम।
जपो कृष्ण का नाम ,भरे फिर पनघट रीता ।
रहो सदा समभाव , यही कहती है गीता ।
2)
गीता का हूँ श्लोक मैं,'वाणी'और कुरान ।
संग बाइबिल को लिये,है हिन्द संविधान ।
है हिन्द संविधान,घूँट क्यों विष का पीता ।
कसम दिलाना बाद ,समझ लो पहले गीता ।
3)
कल की चिंता छोड़िये,तन को नश्वर जान ।
अजर अमर आत्मा रहे ,ये गीता का ज्ञान ।
ये गीता का ज्ञान,लोभ से गागर छलकी ।
छोड़ें माया मोह ,करें क्यों चिंता कल की ।
4)
पावन गीता ग्रंथ का ,अंतिम क्षण में पाठ ।
करे मोक्ष की कामना,सजे चिता अब काठ ।
सजे चिता अब काठ,यहीं छूटा जग भावन ।
करिये सदा प्रयास ,रहे यह जीवन पावन ।
बहुत-बहुत सुंदर, उत्तम भाव , श्रेष्ठ सृजन 👌👌 बधाई 🌺🌺🌺
ReplyDeleteआ0 सादर आभार
ReplyDeleteबहुत सुंदर सृजन सखी ।
ReplyDeleteसार्थक और हृदय ग्राही।
आ0 रचना साझा करने के।लिए हार्दिक आभार
ReplyDeleteगीता का सार समझता , सुंदर प्रेरणादायक सृजन अनीता जी ,सादर नमन
ReplyDeleteकामिनी जी हार्दिक आभार
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