तितली के रंगीन परों सी जीवन में सारे रंग भरे चंचलता उसकी आँखों में चपलता उसकी बातों मे थिरक थिरक क

Monday, April 13, 2020

माटी



दोहावली
***
माटी मेरे देश की,इस पर है अभिमान।
तिलक लगा कर भाल पर,करते हैं सम्मान।।

इस माटी में जन्म ले काम इसी के आय।
वतन पर जो मर मिटे,जीवन सफल कहाय।।

रक्त शहीदों का बहा,माटी है अब लाल।
कब तक होगी ये दशा,माटी करे सवाल।।

पूजें माटी खेत की,करके कर्म पवित्र।
मान बढ़े भू पुत्र का ,करें यत्न सब मित्र ।।

अंकुर निकले बीज से ,दे ये अन्न अपार।
माटी गुण की खान है,औषध की भरमार।।

कच्ची माटी के घड़े ,सोच समझ कर ढाल।
उत्तम बचपन जो गढ़ो  ,उन्नत होगा काल।।

माटी को  बाँधे जड़ें  ,रोके मृदा कटाव ।
स्वच्छ नदी की तलहटी,रोके बाढ़ बहाव।।

अनिता सुधीर








3 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (15-04-2020) को   "मुस्लिम समाज को सकारात्मक सोच की आवश्यकता"   ( चर्चा अंक-3672)    पर भी होगी। -- 
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
    -- 
    कोरोना को घर में लॉकडाउन होकर ही हराया जा सकता है इसलिए आप सब लोग अपने और अपनों के लिए घर में ही रहें।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
    --
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 

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    1. आ0 स्थान देने के लिए हार्दिक आभार

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