तितली के रंगीन परों सी जीवन में सारे रंग भरे चंचलता उसकी आँखों में चपलता उसकी बातों मे थिरक थिरक क

Thursday, July 23, 2020

सावन

सावन गीत

बरसे मेघा बरसी अँखियाँ,
सावन हिय को तड़पाये।
धरती पर फैला सन्नाटा,
तम के बादल हैं छाए ।।

बाग बगीचे सूने लगते,
झूले मौन बुलाते हैं
याद सताती सखियों की अब,
कँगना शोर मचाते हैं
कजरी घेवर को मन तरसे,
तीजों पर काले साए।।

कांवड़िया यह राह देखता,
कैसे अब अभिषेक करें
दुग्ध धार गंगाजल अर्पण
आक धतूरा शीश धरें
बिल्व पत्र शंकर को प्यारा,
उनको अर्पण कर आए

विपदा चारों ओर खड़ी है,
बम बम भोले कष्ट हरो
नृत्य दिखा कर तांडव फिर से,
धरती के दुख दूर करो
सावन में मन की हरियाली,
लौट लौट फिर आ जाए

अनिता सुधीर










14 comments:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 27 जुलाई 2020 को साझा की गयी है.......http://halchalwith5links.blogspot.com/ पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. सुंदर रचना सखी।

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  3. वाह!लाजवाब सृजन सखी ।

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  4. जी हार्दिक आभार सखी

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  5. आदरणीया मैम,
    आपकी यह प्रार्थना बहुत ही सुंदर है। भगवान जी हमारी विनती शीघ्र सुन लें और इस महामारी को भगा दें।

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    1. जी बम बम भोले कष्ट दूर करें

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  6. सुंदर रचना के लिये आभार।

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  7. सामायिक परिस्थितियों को आधार बनाकर बहुत सुंदर सृजन।
    अभिनव रचना।

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  8. बहुत सुंदर गीत सखी

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