तितली के रंगीन परों सी जीवन में सारे रंग भरे चंचलता उसकी आँखों में चपलता उसकी बातों मे थिरक थिरक क

Thursday, March 18, 2021

राष्ट्र गीत

वन्देमातरम

रक्त दौड़े बाजुओं में 
राष्ट्र का शुभ गीत गाकर
देश का इतिहास रचते
शौर्य में आनंद पाकर

भाव जागें देशहित में
गीत वंदेमातरम से
वंदना के श्लोक कहते
कर्म करिये फिर धरम से
ज्ञान दो माँ भारती अब
नींद से हमको उठाकर।।

कंठ गाते जोश को जब
नित नया बलिदान लिखते
प्राण फूँके पीढ़ियों ने
भारती गुणगान लिखते
यज्ञ की वेदी जली है
भूमि रज माथे चढ़ाकर।।

शस्य श्यामल हो धरा ये
स्वप्न पलते कोटि दृग में
फिर अमरता चाहती है
लक्ष्य लिखना सत्य पग में
सूर्य शशि वंदन  करें फिर
मंत्र सुफलां का सुनाकर।।

अनिता सुधीर आख्या

4 comments:

  1. आहा , कितना सुन्दर गीत ... वन्देमातरम .
    पढ़ते पढ़ते ही जोश भर गया ... अतिसुन्दर .

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  2. बहुत बहुत सुन्दर मधुर गीत । शुभ कामनाएं ।

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  3. सुन्दर गीत रचना।
    वन्देमातरम्।

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