तितली के रंगीन परों सी जीवन में सारे रंग भरे चंचलता उसकी आँखों में चपलता उसकी बातों मे थिरक थिरक क

Sunday, June 20, 2021

महर्षि पतंजलि

 

मदिरा सवैया

*महर्षि पतंजलि*


पावन भू पर जन्म लिए,मुनि भारत गौरव गान लिखे।
दर्शन योग पतंजलि का,ऋषि धातु रसायन मान लिखे।।
योग विधान प्रसिद्ध हुआ,परिभाषित सूत्र महान लिखे।।
भाष्य विवेचन सार लिखे,वह संस्कृति का अवदान लिखे।।

अष्ट प्रकार सधे तन ये,छह दर्शन में उत्थान लिखे।
औषधि वैद्य पितामह थे,तन साधन का तप ज्ञान लिखे।।
जो उपचार किए मन का,मन चंचल का वह ध्यान लिखे।
रोग विकार मिटा जग का,वह भारत की  पहचान लिखे।।

अनिता सुधीर आख्या

3 comments:

  1. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल .मंगलवार (22 -6-21) को "योग हमारी सभ्यता, योग हमारी रीत"(चर्चा अंक- 4103) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
    --
    कामिनी सिन्हा

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  2. आज सख्त जरुरत है नई पीढ़ी को अपने गौरवशाली अतीत की जानकारी उपलब्ध करवाने की

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  3. बहुत सुंदर सवैया

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