तितली के रंगीन परों सी जीवन में सारे रंग भरे चंचलता उसकी आँखों में चपलता उसकी बातों मे थिरक थिरक क

Friday, October 8, 2021

माँ ब्रह्मचारिणी

मॉं ब्रह्मचारिणी के चरणों में पुष्प


कठिन तपस्या जब करी,बिल्व पत्र फल पान से।
मनोकामना पूर्ण फिर,चंद्रमौलि के  ध्यान से।।

अक्ष, कमंडल हाथ में,देवि नाम की भव्यता।
प्रेम त्याग तप साधतीं,मातु रूप में दिव्यता।।

ब्रह्मचारिणी रूप में, माँ अम्बे को पूजिए।
कर्म शक्ति अनुरूप ही,कठिन तपस्या कीजिए।।

ब्रह्मचर्य की साधना, धीरज सयंम जानिए।
सदाचार एकाग्रता, पूजन विधि ये मानिए।।

स्वाधिष्ठानी चक्र को,साधक मन जागृत करे।
विचलित चंचल मन सधे,शांत भाव झंकृत करे।।


21 comments:

  1. बहुत सुंदर पावन सृजन।
    जय माँ ब्रह्मचारिणी 🙏।

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  2. बहुत ही खूबसूरत 👌

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  3. अति सुंदर एवं उत्कृष्ट स्तुति 🙏🏼💐

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  4. अत्यंत उत्कृष्ट उल्लाला छंद सृजन🙏🙏👏👏

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  5. अत्यंत पवित्र वंदना
    सुकोमल भाव।

    सस्नेह।

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