तितली के रंगीन परों सी जीवन में सारे रंग भरे चंचलता उसकी आँखों में चपलता उसकी बातों मे थिरक थिरक क

Tuesday, December 21, 2021

गीतिका

आस का सूरज उगा कर बात करनी चाहिए।

बर्फ जमती उर पटल पर वह पिघलनी चाहिए।।



उष्णता की नित कमी से त्रास बढ़ता जा रहा

दृश्य ओझल हो रहा अब धुंध मिटनी चाहिए।।


नित कुटिलता को बढ़ाने अब शकुनि घर घर रहें

ध्येय जिनका यह रहा है रार मचनी चाहिए ।।


शून्य होती भावना में धीरता की है कमी

धैर्य की फिर बूँद से अब झील भरनी चाहिए।।


मौन हो अभिव्यक्तियाँ अब दृग पलक पर क्यों सजें

शब्द मुखरित हो सकें मुस्कान मिलनी चाहिए।।



अनिता सुधीर आख्या

10 comments:

  1. शून्य होती भावना में धीरता की है कमी, अत्युत्तम गीतिका🙏🙏🙏

    ReplyDelete
  2. धन्यवाद संजय जी

    ReplyDelete
  3. सुंदर सराहनीय सीजन ।

    ReplyDelete
  4. अति उत्तम एवं सार्थक संदेश देती हुई गीतिका 💐💐💐🙏🏼

    ReplyDelete
  5. अद्भुत गीतिका👏👏👏मैंम
    नमन

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक आभार विपिन जी

      Delete