तितली के रंगीन परों सी जीवन में सारे रंग भरे चंचलता उसकी आँखों में चपलता उसकी बातों मे थिरक थिरक क

Monday, January 24, 2022

वोट

 मैं वोट हूँ,  मैं वोट हूँ 

नीयत में जिसके खोट ,

उसे देता बड़ी चोट  हूँ

मैं वोट हूँ ,मैं वोट हूँ  ।


ये मेरी  है कथा ,पर

आजकल बड़ी व्यथा

जाति धर्म में  बाँट के

प्रलोभनों  की मार से

आरक्षण के धार  से

आरोपों के वार से

अनर्गल  प्रचार से

कर्जमाफी के शगूफे से

कोरोना के आंकड़े से

प्रमाण माँगने से

शवों की गिनती से

जब मुझे गिना जाने लगा

तो मैं  काँपने लगा हूँ 

मैं हाँफने लगा हूँ ।

अस्तित्व होते हुए भी 

शून्यता में खोने लगा हूँ 

मैं वोट हूँ ,मैं वोट हूँ  ।


लोकतंत्र का हथियार हूँ 

मतदाता का अधिकार हूँ 

नेताओं के गले की फाँस हूँ 

ई वी एम  का त्रास हूँ

मतदाता पत्र का अतीत हूँ

नोटा का वर्तमान हूँ

मैं वोट हूँ ,मैं वोट हूँ  ।


नोटा  अब बढ़ रहा है

नेताओं,जरा संभल जाना 

अब मेरी शक्ति बढ़ने लगी है

जनता को बेवकूफ न बना पाओगे 

अब अपने मुँह की खाओगे

राष्ट्रहित  में काम करोगे 

तभी मुझे तुम पाओगे।


मतदाताओं तुमसे कुछ कहना है 

अब चुपचाप नहीं सहना है 

तुम जागरूक हो जाओ

नेताओं के बहकावे  में न आओ

मेरा उपयोग करो 

मतदान करो ,मतदान करो,

मेरी शक्ति पहचानो

मैं लोकतंत्र की शक्ति हूँ

मैं वोट हूँ  ,मैं वोट हूँ ।

©anita_sudhir

7 comments:

  1. इस तूती की आवाज को लाउडस्पीकर बनना ही होगा

    ReplyDelete
  2. वोट की महत्ता। सटीक

    ReplyDelete
  3. लोकतंत्र को आइना दिखाती सटीक रचना

    ReplyDelete