तितली के रंगीन परों सी जीवन में सारे रंग भरे चंचलता उसकी आँखों में चपलता उसकी बातों मे थिरक थिरक क

Friday, April 29, 2022

ग़ज़ल

 ग़ज़ल


जिंदगी कब बीतती है प्यार की बौछार से

मुश्किलों का है सफ़र ये बोझ के अंबार से


वक़्त की इन आंधियों से हार कर क्या बैठना

चीर दे तूफ़ान को तू हौसलों की धार से


डोर नाजुक टूटती है प्रेम औ विश्वास की

चोट खाई है बशर ने फिर इन्हीं गद्दार से


मज़हबी कमजोरियां क्यों इस क़दर अब बढ़ चलीं

धर्म क्या अब यों बचेगा आपसी तक़रार से


क्यों कलम का रंग भी अब पूछते हैं सब यहाँ

अब समर लड़ना बचा है लेखनी तलवार से


वो अलग ही शख्सियत जो जीत की जिद पर अड़ी

कामयाबी की कहानी कब रची है हार से


किस अमन की चाह में कतरा लहू का बह रहा

जीत लो संसार को अब  प्रेम के व्यवहार से


अनिता सुधीर





Sunday, April 24, 2022

रामधारी सिंह दिनकर

 

रामधारी सिंह दिनकर की पुण्य तिथि पर

कुंडलिया
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धारी दिनकर सिंह का, लेखन कार्य महान।
अलख क्रांति की नित जगा, रखा देश का मान।।
रखा देश का मान, खरी खोटी थे कहते।
रहे सदा निर्भीक, झूठ को कभी न सहते ।।
ओत-प्रोत रस वीर, लिखा था हाहाकारी
ज्ञानपीठ सम्मान,' राम'थे दिनकर धारी।।

अनिता सुधीर 




Thursday, April 21, 2022

सुनो धरती की


सुनो धरती की 
***
श्वास कंठ में कबसे अटकी
तृषा नहीं गंगाजल की 
तप्त हृदय अब कबसे प्यासा 
धीरज की गगरी छलकी।।

वक्ष पटल पर पड़ी लकीरें
चोट तुम्हीं ने पहुँचाई
नाखूनों से नोचा तुमने
पीड़ा से मैं अकुलाई
कमी अन्न की खलिहानों में 
चित्र सोचती अब कल की ।।
तप्त हृदय अब कबसे प्यासा
धीरज की गगरी छलकी।।

चेतन मन उर्वी ढूँढ़ रही
हरित वल्लरी आलिंगन
व्यथा भोगती जड़ होने की
चाहूँ साँसों का स्पंदन
उर पाथर पर पड़ी दरारें
बहे धार शीतल जल की।।
तप्त हृदय अब कबसे प्यासा 
धीरज की गगरी छलकी।।

चली उर्वशी देवलोक से
क्रीड़ा सुख को तरस रही
दैवत्व पुरुरवा की तृष्णा
अब तक कितने कष्ट सही
बंद नैन में स्वप्न डोलते
आस लगी स्वर्णिम पल की ।।
तप्त हृदय अब कबसे प्यासा 
धीरज की गगरी छलकी।।


अनिता सुधीर आख्या




Saturday, April 16, 2022

हनुमान



हनुमान प्रकटोसव की शुभकामनाएं


चैत्र माह की पूर्णिमा,प्रकट हुए हनुमान ।

राम नाम उर में धरे ,करें राम का ध्यान।।


मारुति सुत हनुमान हैं,अनघ रुद्र अवतार।

रामदूत बजरंग जी ,करते  बेड़ा  पार ।।


जपे नाम हनुमान का , रोग दोष का नाश।

भवसागर से तार दें,अंतस भरें प्रकाश ।।


मूरत इनकी  देख कर, दूर भागता काल।

दया करो मुझ दीन पर ,हे अँजनी के लाल ।।


भक्तों के दुख दूर हों, खड़े आपके द्वार।

प्रभु अपना आशीष दें, खुशियाँ भरें अपार।।


अनिता 


Friday, April 15, 2022

जीत के मंत्र

 

नवगीत


जीत के कुछ मंत्र बो दें 

अब लगी है धूप तपने


सौ परत में स्वप्न दुबका

सो रहा तकिया लगाकर

भोर सिरहाने खड़ी है

पैर को चादर उढ़ाकर

पथ विजय के नित पुकारें

धार हिय उत्साह अपने।।


कंठ सूखे होंठ पपड़े

ले नियति जब भागती है

पर्ण लेती सिसकियाँ जो

रात्रि भी फिर जागती है

अब पुरानी रीति बैठी

जीत के नव श्लोक जपने।।


रात ने माँगी मनौती

द्वार पर जो भोर उतरी

स्वेद श्रम से अब भिगोकर

कर्म की फिर बाँध सुतरी

रथ समय का चल पड़ेगा

ले कुँआरे साथ सपने।।


अनिता सुधीर






Thursday, April 14, 2022

गजल

 हाथ लेकर ख़ाली इस सफ़र पे आए।

साथ फिर क़फ़न के क्या ले के कोई जाए।।


अपनी ही चाहतों को दिल में दफन किया था

तूफ़ान जो उठा  फिर कहर वो खूब ढाए।।


जिंदगी भी आज़िज़ कब तलक शिकवा करे

हाथ की लकीरों को कब कौन है मिटाए।।


तक़दीर खेल खेले अब पैर थक रहे हैं

वक़्त थोड़ा सा बचा चल कर शज़र लगाएं।


दिल में पड़ी दरारें जब धर्म की सियासत

आग बस्तियों की फिर कौन आ बुझाए।।


अनिता सुधीर


Saturday, April 9, 2022

माता महागौरी



 माता महागौरी

अष्टम तिथि की दिव्यता,पूज्य शिवा में ध्यान हो।
मातु महागौरी सदा,भक्तों का कल्याण हो।।

जन्म हिमावन के यहाँ, मातु पार्वती ने लिया।
शंकर हों पति रूप में,बाल काल से तप किया।।

श्वेत वर्ण है मातु का,उपमा श्वेतांबरधरा ।
चतुर्भजी दुखहारिणी,माँ का अब है आसरा ।।

पूजन गौरी का करे,शांति हृदय में व्याप्त हो।
करें पाप का नाश फिर,शक्ति अलौकिक प्राप्त हो।।

राहू की हैं स्वामिनी ,दूर करें इस दोष को।
मातु वृषारूढ़ा भरें,सभी भक्त के कोष को।।

अनिता

Friday, April 8, 2022

माँ कालरात्रि

माता कालरात्रि
***

कालरात्रि की अर्चना,सप्तम तिथि को कीजिए।
काल विनाशक कालिका,शुभंकरी को पूजिए।।

रक्त बीज संहार जब,जन्म हजारों रक्त का।
दानव का संहार कर,कष्ट हरा फिर भक्त का।।

तीन नेत्र की स्वामिनी,रूप धरे विकराल हैं।
तांडव मुद्रा देख के,दूर भागता काल है ।।

चतुर्भुजी के हाथ में,कांटा और कटार है।
गर्दभ वाहन साथ ले,करें असुर संहार है।।

रोग दोष से मुक्त कर,करें शत्रु का नाश है।
ग्रह बाधा को दूर कर,जग में भरा प्रकाश है।।

द्वार सिद्धियों के खुलें,साधक मन सहस्रार में।
शीर्ष चक्र की चेतना,है दैहिक आधार में।।

अनिता सुधीर आख्या
चित्र गूगल से

Monday, April 4, 2022

माँ चंद्रघंटा

 #माँ चंद्र घण्टा के चरणों में पुष्प#



नवरातों त्योहार में,दिवस तीसरा ख़ास है ।
चंद्र घंट को पूज के ,लगी मोक्ष की आस है।।

सौम्य रूप में शाम्भवी,माँ दुर्गा अवतार हैं।
घण्टा शोभित शीश पर ,अर्ध चंद्र आकार है ।।

सिंह सवारी मातु की,अस्त्र शस्त्र दस हाथ में।
दर्श अलौकिक जानिए ,दिव्य शक्तियाँ साथ में।।

अग्नि तत्व मणिपुर सधे,योग साधना तंत्र में।
साधक मन को साधते,सप्त शती के मंत्र में।।

ध्वनि घंटे की शुभ रही,करें जोर से नाद सब।
दूर प्रेत बाधा करे,दूर करे अवसाद सब।।

कीर्ति मान सम्मान हो,साधक के घर द्वार में।
रक्षा करने धर्म की,माँ आयीं संसार में।।

अनिता सुधीर

Friday, April 1, 2022

परीक्षा उत्सव

 परीक्षा

रूप घनाक्षरी


कितने ही प्रकार से जीवन परीक्षा लेता

जीत सदा होती कब,कभी मिलती है हार।


दुखी कभी होना नहीं, छोड़ दें अवसाद को

परीक्षा को पर्व मान, करें सदैव सत्कार।।


कर्म पथ हो अडिग, हर पल निडर हो

जो भी परिणाम आये, उसको ले अँकवार।


श्रेष्ठ अपना दीजिये धीरज वरण कर, 

सबके प्रश्न भिन्न हैं ,यही जीवन का सार।।


अनिता सुधीर