नवगीत
'हैप्पी हिंदी डे'
'हैप्पी हिंदी डे' संदेशे
दिवस विचार जिया।
सेज सौत ने साझा कर ली
नित्य शिकार हिया।।
माथे की बिंदी एक दिवस
मान खरीद रही
कार्यालय की चिठ्ठी गुमसुम
पीर अपार कही
नीति-नियम गोष्ठी में बैठे
कान विकार लिया।।
झड़ी-पुछी सी भाषा होगी
अब संदूकों में
अभी वर्ष भर नाचेगी फिर
सौतन कूकों में
अक्षर-अक्षर भाव बींधते
शब्द प्रहार किया।।
'हैप्पी' होते त्योहारों ने
अब भरी बधाई
अपने मोहल्ले में करते
अधिकार लड़ाई
तुरपन ने अधरों को सिलकर
गरल प्रसार पिया।।
अनिता सुधीर आख्या
अद्भुत शब्द संयोजन , अस्तु पुष्ट विचार विवेचन , अभिनन्दन !
ReplyDeleteसादर आभार आ0
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