मकर संक्रांति की शुभकामनाएं
प्रथम पर्व यह वर्ष का,खत्म हुआ खर मास।
तेजोमय हों सूर्य सम,लगी देव से आस।।
संवत के पंचाग में,हिंदू तिथि आधार।
मकर राशि दिनकर चले,आये तब त्यौहार।।
दक्षिण से उत्तर चले, सूर्य देव भगवान।
पुण्य काल आराधना,करिये जप तप दान।।
बीजमंत्र है सूर्य का,मकर संक्रांति खास।
तेजोमय हों ..
परम्परा के पर्व में रहे एकता सार।
माघी पोंगल लोहड़ी,खुशियों के उद्गार।।
कल्प वास की है प्रथा,उमड़ा जन सैलाब।
भारत संस्कृति श्रेष्ठतम,इसका नहीं जवाब।।
खिचड़ी पापड़ रेवड़ी,तिल गुड़ भरे मिठास।
तेजोमय हों ...
नई फसल अब कट रही,कृषकों का आभार।
भरा रहे धन धान्य से, सदा अन्न भंडार।।
मन पतंग बन उड़ चले, थाम हृदय की डोर।
सकरात्मक ऊर्जा लिए,नवल सुखद हो भोर।।
ऋतु परिवर्तन जान कर,भरता मन उल्लास।
तेजोमय हों ....
अनिता सुधीर आख्या
बहुत बढ़िया।दोहे लिखे है या कोई और विधा।
ReplyDeleteसादर आभार, दोहा छन्द आधारित गीत है
ReplyDeleteश्रेष्ठ सृजन
ReplyDeleteवाह ! मकर संक्रांति पर दोहा गीत । पर्व की सुंदर अभ्यर्थना।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया दोहे
ReplyDeleteवाह!!!
ReplyDeleteबहुत ही लाजवाब ।
समसामयिक सुंदर रचना।
ReplyDeleteसादर।
बहुत सुंदर।
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