श्री चित्रगुप्त महाराज की जय
भाई दूज की शुभकामनाएं
पावन पर्व के उपलक्ष्य में मेरी कुछ पंक्तिया
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करें कर्म का लेखा-जोखा,चित्रगुप्त भगवान।
लेखपाल की कलम चले जब,लिखे न्याय आख्यान।।
पाप-पुण्य का भान रहे नित,उत्तम रहें विचार
देव मुझे आशीष मिले यह,मिले कलम को मान।।
आज कलम दवात की पूजा,करते सब कायस्थ।
न्यायब्रह्म के वंशज हम सब,कृपा करें धर्मस्थ।।
बुद्धि दीजिए बुद्धि प्रदाता,मिले सभी को ज्ञान
अजर-अमर हों भाई मेरे, रहें सभी अब स्वस्थ।।
अनिता सुधीर आख्या
भगवान चित्रगुप्त पर कोई नव-सृजित रचना मैंने प्रथम बार ही देखी है। पढ़कर हृदय आह्लादित हो गया। पर्व की विलम्बित शुभकामनाओं सहित आपका आभार एवं अभिनंदन।
ReplyDeleteसादर धन्यवाद
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