जब सिया को कौवे की कहानी सुनाते थे तो कहती थी सिया उसके लिए स्ट्रॉ ले आएगी ।
एक कौवा प्यासा था ।
पानी के लिए तरसा था।।
तब उसने देखा एक घड़ा
उसमें पानी नीचे पड़ा।।
सोच रहा था कंकड़ डालें।
झट पट पानी को पा लें।।
एक लड़की है प्यारी सी।
उसकी बातें न्यारी सी।।
अच्छे काम वो करती है
सबकी हेल्प वो करती है।।
दौड़ गई वो स्ट्रॉ लाने ।
उस कौवे की प्यास बुझाने।।
कौवा बड़ा सयाना था ।
पानी पीना ठाना था।।
चोंच में फिर स्ट्रॉ दबाई
पानी पीकर प्यास बुझाई।।
अपने पंखों को खोला
कांव कांव कह थैंक्यू बोला
बहुत जरूरी है पानी
ऐसा कहती है नानी ।।
अनिता सुधीर
सुंदर सार्थक रचना
ReplyDeleteआत्मीय आभार अभिलाषा जी
Deleteवाह! बहुत खूब!
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद
Deleteवाह!!!
ReplyDeleteस्ट्रॉ मिली तो मेहनत से बचा कौआ
लाजवाब सृजन
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteहार्दिक आभार
Deleteबढ़िया अनीता जी। सयानीमुनिया ने पुरानी कहानी को नया अर्थ दे दिया👌👌🙏
ReplyDeleteसादर आभार रेणु जी
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