तितली के रंगीन परों सी जीवन में सारे रंग भरे चंचलता उसकी आँखों में चपलता उसकी बातों मे थिरक थिरक क

Thursday, July 25, 2024

कौवा

जब सिया को कौवे की कहानी सुनाते थे तो कहती थी सिया उसके लिए स्ट्रॉ ले आएगी ।


एक कौवा प्यासा था ।
पानी के लिए तरसा था।।

तब उसने देखा एक घड़ा
उसमें पानी नीचे पड़ा।।

सोच रहा था कंकड़ डालें।
झट पट पानी को पा लें।।

एक लड़की है प्यारी सी।
उसकी बातें  न्यारी सी।।

अच्छे काम वो करती है
सबकी हेल्प वो करती है।।

दौड़ गई वो स्ट्रॉ लाने ।
उस कौवे की प्यास बुझाने।।  

कौवा बड़ा सयाना था ।
पानी पीना ठाना था।।

चोंच में फिर स्ट्रॉ दबाई 
पानी पीकर प्यास बुझाई।।

अपने पंखों को खोला 
कांव कांव कह थैंक्यू बोला 

बहुत जरूरी है पानी 
ऐसा कहती है नानी ।।

अनिता सुधीर

9 comments:

  1. सुंदर सार्थक रचना

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    1. आत्मीय आभार अभिलाषा जी

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  2. वाह! बहुत खूब!

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    1. हार्दिक धन्यवाद

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  3. वाह!!!
    स्ट्रॉ मिली तो मेहनत से बचा कौआ
    लाजवाब सृजन

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  4. Replies
    1. हार्दिक आभार

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  5. बढ़िया अनीता जी। सयानीमुनिया ने पुरानी कहानी को नया अर्थ दे दिया👌👌🙏

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  6. सादर आभार रेणु जी

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