तितली के रंगीन परों सी जीवन में सारे रंग भरे चंचलता उसकी आँखों में चपलता उसकी बातों मे थिरक थिरक क

Friday, October 18, 2019




अशुद्ध ....

लुप्त होता शिष्टाचार ..
अशुद्ध आचार विचार ..
फैलता भ्रष्टाचार ...
मिथ्या प्रचार....
चहुँ  दिस अंधियार...
मनुज लाचार...
क्या है इसका उपचार..
क्या है इसका समाधान..
अशुद्ध हवा ..
अशुद्ध दवा ..
अशुद्ध भोज्य पदार्थ........
निहित स्वार्थ....
ये मिलावटखोर....
इनके हृदय कठोर..
आतंकवादियों से अधिक खतरनाक
इरादे नापाक .....
करते कारनामे खौफनाक....
अपनों  संग ही करें मजाक ....
बेच चुके जमीर ...
मिलावट दूध खोया पनीर..
भोज्य पदार्थ को अशुद्ध कर
बनना चाहते हैं अमीर ....
समय की मार से डरो ..
अब तो अपने कर्म शुद्ध करो..
सोचो यदि  तुम्हारा परिवार ....
होगा इस अशुद्धता का शिकार...
भयानक पड़ेगा बीमार ...
क्या होगा तब सोचो ...
©anita_sudhir

7 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 18 अक्टूबर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. लुप्त होता शिष्टाचार ..
    अशुद्ध आचार विचार ..
    फैलता भ्रष्टाचार ...
    मिथ्या प्रचार....
    चहुँ दिस अंधियार...
    मनुज लाचार...
    यह सब मनुष्य की ही अतिमहत्वाकांक्षा का परिणाम है।
    सुंदर और सार्थक संदेश ,सादर प्रणाम।

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  3. मिलावट एक रीत बन चुकी है
    आने वाले दिनों में कानून बन जाये कि "जो मिलावट नहीं करेगा उसको जेल या जुर्माना हो सकता है" तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।
    सेहत की जगह वेल्थ ने ले ली है... अंधा जो हो चुका है इंसान लोभ में।

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  4. जी सभी बीमारियों की जड़
    क्या हो रहा है समाज में ,शुद्ध सब्जी फल कुछ नहीं

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