तितली के रंगीन परों सी जीवन में सारे रंग भरे चंचलता उसकी आँखों में चपलता उसकी बातों मे थिरक थिरक क

Thursday, October 3, 2019

मैं  कैसी
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मैं कैसी
चर्चा का विषय क्यों
हर बार कसौटियों पर
मैं ही परखी जाऊँ
लहूलुहान होती रूह पर
कब तक मरहम लगाऊं
सदियों से चुप रही
कराहती रूह को
थपथपा सुलाती रही
पर अब नहीं ...
जैसी भी  मैं
क्यों दें सबूत
साक्ष्य प्रमाण क्यों
एक एक कृत्य के
गवाह क्यों 
नहीँ चाहिये मुझे
तुम्हारी अदालत से
कोई फैसला
कोई सनद नहीं
कोई प्रमाण पत्र नहीं
स्वयं को बरी करती हूँ.....

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