गीत
सरसी छन्द
एक डाल के सब पंछी हैं ,सबमें है कुछ खास।
किसी कमी पर कभी किसी का,मत करना उपहास।
सिक्के के दो पहलू होते , जैसा करें विचार,
पतझड़ बाद बहारें आतीं,ये जीवन का सार।
सुख दुख तो आना जाना है,मन क्यों करे उदास,
चार दिनों का जीवन बाकी ,करो हास परिहास।।
किसी कमी ...
सरल नहीं है मंजिल पाना ,ऐसा रखिये ध्यान,
निष्ठा और समर्पण करते ,मंजिल को आसान।
आत्मविश्वास की ताकत से,करें नित्य अभ्यास,
जो डरे नहीं बाधाओं से ,वही रचे इतिहास ।।
किसी कमी पर ...
साथ भला क्या ले जायेगा,निज कर्मों को छोड़,
अब अच्छे कर्मों से अपने,खाते में कुछ जोड़ ।
परोपकार में तन लगा दें,भूखे को दे ग्रास।
सतकर्मों से मिट पायेगा,धरती माँ का त्रास।।
किसी कमी ...
जो होना वो होकर रहता ,कहता कर्म विधान,
डर डर के जीवन क्या जीना ,रखिये स्व अभिमान।
आशाओं का दीप जला के,मन में करें उजास,
भाग्य का लेखा कहाँ टला , राम गये बनवास।।
किसी कमी...
एक डाल के सब पंछी हैं ,सबमें है कुछ खास।
किसी कमी पर कभी किसी का,मत करना उपहास।
©anita_sudhir
सरसी छन्द
एक डाल के सब पंछी हैं ,सबमें है कुछ खास।
किसी कमी पर कभी किसी का,मत करना उपहास।
सिक्के के दो पहलू होते , जैसा करें विचार,
पतझड़ बाद बहारें आतीं,ये जीवन का सार।
सुख दुख तो आना जाना है,मन क्यों करे उदास,
चार दिनों का जीवन बाकी ,करो हास परिहास।।
किसी कमी ...
सरल नहीं है मंजिल पाना ,ऐसा रखिये ध्यान,
निष्ठा और समर्पण करते ,मंजिल को आसान।
आत्मविश्वास की ताकत से,करें नित्य अभ्यास,
जो डरे नहीं बाधाओं से ,वही रचे इतिहास ।।
किसी कमी पर ...
साथ भला क्या ले जायेगा,निज कर्मों को छोड़,
अब अच्छे कर्मों से अपने,खाते में कुछ जोड़ ।
परोपकार में तन लगा दें,भूखे को दे ग्रास।
सतकर्मों से मिट पायेगा,धरती माँ का त्रास।।
किसी कमी ...
जो होना वो होकर रहता ,कहता कर्म विधान,
डर डर के जीवन क्या जीना ,रखिये स्व अभिमान।
आशाओं का दीप जला के,मन में करें उजास,
भाग्य का लेखा कहाँ टला , राम गये बनवास।।
किसी कमी...
एक डाल के सब पंछी हैं ,सबमें है कुछ खास।
किसी कमी पर कभी किसी का,मत करना उपहास।
©anita_sudhir
बेहतरीन प्रस्तुति
ReplyDeleteजी सादर अभिवादन
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