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पत्रकारिता /पत्रकार
दोहा छन्द
*तीस मई* शुभ दिन रहा ,लिखा गया इतिहास।
समाचार *मार्तण्ड* ने ,उर में भरा हुलास ।।
लिए कलम की धार जो,बनता पहरेदार।
पत्रकार निष्पक्ष हो ,लड़े बिना तलवार ।।
डोर सत्य की थामता,कहलाता है स्तंभ।
शुचिता का संचार हो ,नहीं मिला हो दम्भ।।
साहस संयम ही रहे ,पत्रकारिता मान।
सोच,विषय संवाद से,मिले नयी पहचान ।।
परिवर्तन के दौर में ,माध्यम हुए अनेक ।
समाचार की सत्यता,होती अब व्यतिरेक।।
प्रौढ़ कलम दम तोड़ती,बिकी कलम जब आज।
भटक गयी उद्देश्य से,रोता रहा समाज ।।
नया कलेवर डाल के,भूली सहज प्रवाह ।
पूंजीपति के कैद में ,ढूँढे झूठ गवाह ।।
जोड़ तोड़ अब मत करें,पहले समझें कथ्य।
मिले वही पहचान फिर,सत्य लिखें अब तथ्य।।
अनिता सुधीर आख्या