तितली के रंगीन परों सी जीवन में सारे रंग भरे चंचलता उसकी आँखों में चपलता उसकी बातों मे थिरक थिरक क

Sunday, September 13, 2020

हिंदी

 हिंदी दिवस की शुभकामनाएं


राजभाषा  हिंदी को समर्पित  सुमन 

 छंद की विभिन्न विधाओं से अपनी बात आप तक पहुँचाने का  छोटा सा प्रयास करा है।

#मुक्तक

अपनों के ही मध्य में,ढूँढ रही अस्तित्व।

एक दिवस में बाँध के,निभा रहे दायित्व।।

शिक्षा की नव नीति से,लगी हुई उम्मीद,

रहे श्रेष्ठतम हिन्द में,हो इसका स्वामित्व।।


बनती खिचड़ी अधपकी,रहा अधूरा ज्ञान।

दो नावों पर पैर रख,छेड़ रहे हैं तान ।।

हीन भावना छोड़िये,करिये इस पर गर्व

हिंदी हिंदुस्तान है,करना है उत्थान।।



#कुंडल छंद


12,10 अंत दो गुरु 


यति के पूर्व और बाद में त्रिकल


हिंदी मान सम्मान,भाल  सजे बिंदी।

शिल्प लय रस व्याकरण,सजा रहे हिंदी।।

शब्द के भंडार में,भाव निहित होते।

मत दिवस में बाँधिये,लगा जलधि गोते।।



कवियों की कलम लिखे,हिन्द देश बोली।

हिंदी इतिहास लिए,सरस काव्य झोली।।

अवधी ब्रज भोजपुरी,रूप रख निराला।

एकता के सार में,गूँथ रही माला ।



#सवैया


विधान- *मत्तगयंद सवैया*

भगण ×7+2गुरु, 12-11 वर्ण पर यति चार चरण समतुकान्त।

*मतगयंद सवैया* 


भोजपुरी ब्रज मैथिल में सज,अद्भुत भाव समाहित हिंदी।

छंद विधा लय शिल्प सजा रस,रूप अनूप रहे सम बिंदी।

काव्य रचा कर श्याम सखा पर,घूम रही बन प्रीत कलिंदी।

मान बढ़ा नित उन्नत होकर,पश्चिम बोल करो अब चिंदी।।


#दोहा छंद


संवाहक है भाव की, उन्नत हिंदी रूप।

ब्रज अवधी हरियाणवी, रखती रूप अनूप।।


Iभारत के परिवेश में,मौलिकता है दूर।

निज भाषा संवाद से, दर्प विदेशी  चूर।।


शुद्ध वर्तनी में सजी,शुद्ध व्याकरण सार ।

सकल विश्व में हो रहा,इसका खूब प्रचार।।


#कुंडलिया



हिंदी भाषा राष्ट्र की,देवनागरी सार।

उच्चारण आसान है,भरा शब्द भंडार।।

भरा शब्द भंडार,रही संस्कृत हमजोली।

भौगोलिक विस्तार,सभी बोलें ये बोली।।

मास सितम्बर खास,सजी माथे जब बिंदी।

ले उर्दू का साथ,मस्त है भाषा हिंदी।।


#दोहा गजल



हिंदी ही अस्तित्व है,गहन भाव यह बोल।

रची बसी मन में रही,शुचिता ले अनमोल।।


हिन्दी का वन्दन करें,हो इसका  उत्थान,

मधुरम मीठे बोल दें,कानों में रस घोल।


कबिरा के दोहे सजे,सजा प्रेम रसखान,

देवनागरी की लिखीं,कृतियाँ करें हिलोल।


हिन्दी ही अभियान हो,हिन्दी हो अभिमान

नहीं बदलता फिर कभी,भाषा का भूगोल।


सजे शीश पर ये सदा,हिंदी हिंदुस्तान,

एक दिवस में बाँध के,रहे चुकाते मोल।


#नवगीत

राजभाषा ले लकुटिया

पग धरे हर द्वार तक


राह में अवरोध अनगिन

हीनता का दंश दें

स्वामिनी का भाव झूठा

मान का कुछ अंश दें


ये दिवस की बेड़ियां भी

कब लड़ें प्रतिकार तक।।



हूक हिय में नित उठे जो

सौत डेरा डालती

छीन कर अधिकार वो फिर

बैर मन में पालती 


कष्ट  का हँसता अँधेरा

बादलों के पार तक।।


अब घुटन जो बढ़ रही है

कंठ का फन्दा कसा

खोल उर के पट सभी अब

धड़कनों में फिर बसा


अब अतिथि की वेशभूषा

छल रही श्रृंगार तक।।



#रोला छन्द


हिंदी हो अभिमान,यही पहचान हमारी।

करें आंग्ल को दूर,मात दें उसे करारी।।

हो इसका उत्थान,लगी है दोहाशाला।

करिये सभी प्रयास,सजा कर हिंदी माला।।



**

#सरसी छंद आधारित गीत


"हिन्दी है अस्तित्व हमारा" ,गहन भाव ये बोल।

माथे पर की बिंदी जैसी, शुचिता ले अनमोल ।।


लिखी भक्ति मीरा की इसमें,लिखा प्रेम रसखान,

कबिरा के दोहों से सजती ,भाषा मातृ महान ।

माखन,दिनकर महादेवि की ,कृतियां करें हिलोल।

माथे पर की बिंदी जैसी, शुचिता ले अनमोल ।।

हिन्दी है अस्तित्व हमारा" .....


देवनागरी भाषा अपनी,रचते छन्द सुजान ,

चुन चुन कर ये भाव सजाती ,हिन्दी है अभिमान।

नहीं बदल पायेगा कोई  ,भाषा का  भूगोल ।

माथे पर की बिंदी जैसी, शुचिता ले अनमोल ।।

हिन्दी है अस्तित्व हमारा" .....


हिन्दी का वन्दन अभिनन्दन, हिन्दी हो अभियान,

एक दिवस में क्यों बाँधें हम ,हिन्दी हिन्दुस्तान।

 मधुरम मीठी भाषा वाणी,रस देती है घोल ।

माथे पर की बिंदी जैसी, शुचिता ले अनमोल ।।

हिन्दी है अस्तित्व हमारा" .....


हिन्दी है अस्तित्व हमारा" ,गहन भाव ये बोल,

माथे पर की बिंदी जैसी, शुचिता ले अनमोल ।


#छंद मुक्त 


रचनाकार का हिंदी से वार्तालाप


क्यों  हो क्लान्त शिथिल तुम

क्यों हो आज व्यथित तुम

ऊंचाइयों तक पहुँच

किस भाव से ग्रसित हो  तुम ।

...आज के हालात पर

चीत्कार करता मेरा मन

होता जब अधिकारों का हनन

अपनों में जब पराये हो जाएं

विदेशी आ मुझे हीन कहें

सीमाओं, दिवस मे 

बांध दिया जाए

तब वेदना से ग्रसित हो

बिंधता है मेरा तन ।

.....निर्मूल है तुम्हारी व्यथा

प्राचीनतम गौरवमयी 

इतिहास रहा है तुम्हारा

कोई छीन नही सकता 

आकर,अधिकार तुम्हारा

पहला शब्द तोतली भाषा

माँ के उच्चारण में हो तुम,

सम्प्रेषण के सशक्त 

माध्यम में  हो तुम 

जन जन में चेतना का 

संचार करती हो तुम 

कवियों की वाणी हो तुम

रस छंद अलंकार से सजी तुम

संस्कृत उर्दू बहनें तुम्हारी

अंग्रेजी है अतिथि तुम्हारी

साथ साथ मिल कर रहो

एक दिवस का क्षोभ न करो 

तुम हमारी शान हमारी पहचान 

प्रतिदिन करते है तुम्हारा सम्मान

पर आज तुम्हें देते विशेष स्थान

हम हिंदी से ,हिंदी हिन्दोस्तान ।




अनिता सुधीर आख्या








12 comments:

  1. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार (14 सितंबर 2020) को '14 सितंबर यानी हिंदी-दिवस' (चर्चा अंक 3824) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    --
    -रवीन्द्र सिंह यादव


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  2. शुभकामनाएं हिन्दी दिवस की।

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  3. बहुत सुंदर प्रस्तुति सखी।
    हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

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  4. वाह!!!
    लाजवाब प्रस्तुति ।

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  5. हिंदी दिवस की शुभकामनाएं

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  6. सादर अभिवादन आ0

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  7. बहुत सुन्दर रचनाएँ

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