तितली के रंगीन परों सी जीवन में सारे रंग भरे चंचलता उसकी आँखों में चपलता उसकी बातों मे थिरक थिरक क

Friday, September 18, 2020

निजीकरण


दोहा छन्द
***
निजीकरण पर हो रहा,नित नित वाद विवाद।
सही गलत के फेर में, उर में भरे विषाद।।

तर्क बुद्धि से सोच कर,करिये सही विरोध।
राजनीति हित साधती, इसका रखिये बोध।।

नीति निरूपण जानिए,सबसे टेढ़ी खीर।
नई विरोधी साजिशें, दूजे को दें पीर ।।

निजीकरण के लाभ में, रहे योग्यता सार।
प्रतियोगी व्यापार में, श्रेष्ठ रखे बाजार ।।

निजीकरण से हानि है,कहते चतुर सुजान।
आर्थिक मुद्दा है विषय,निर्धन को नुकसान।।

अपने हित को त्यागिए, सार्थक तभी विरोध।
बिन पेंदे लुढ़का किये,जनमानस में क्रोध।।

अनिता सुधीर आख्या

21 comments:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (२०-०९-२०२०) को 'भावों के चंदन' (चर्चा अंक-३०३८) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    --
    अनीता सैनी

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  2. बेहद खूबसूरत रचना सखी।

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    1. जी हार्दिक आभार सखी

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  3. सुन्दर प्रस्तुति

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  4. समसामयिक विषय पर बहुत सुन्दर दोहा छंद ।

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  5. निजीकरण पर सार्थक सटीक दोहे ।
    सुंदर भाव पक्ष।

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  6. अपने हित को त्यागिए, सार्थक तभी विरोध।
    बिन पेंदे लुढ़का किये,जनमानस में क्रोध।।
    ..वाह! बहुत खूब!

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  7. तर्क बुद्धि से सोच कर,करिये सही विरोध।
    राजनीति हित साधती, इसका रखिये बोध।।
    वाह अनिताजी ! जनजागृति के लिए दोहों का सुंदर प्रयोग।

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  8. अपने हित को त्यागिए, सार्थक तभी विरोध।
    बिन पेंदे लुढ़का किये,जनमानस में क्रोध।।
    लाजवाब दोहे...
    वाह!!!

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