तितली के रंगीन परों सी जीवन में सारे रंग भरे चंचलता उसकी आँखों में चपलता उसकी बातों मे थिरक थिरक क

Thursday, December 24, 2020

गीत

गीत 

आल्हा  छन्द  

सभ्य मनुज से एक प्रश्न है
कौन तुम्हें देता अधिकार
पथ प्रशस्त करती है नारी
समझे क्यों अबला लाचार

पन्ना का बलिदान लिए वह
आज निभाती माँ का फर्ज
शौर्य लिए रानी लक्ष्मी का
आज चुकाती माटी  कर्ज
चूड़ी पायल पहने नारी
आज उठाती है हथियार।।
पथ ...

सहना अब अन्याय नही है
हो हर नारी का अभियान
जग जननी दुर्गा काली हो
आज जगा अपना अभिमान
लांछन सहती जीवन भर क्यों
आज उन्हीं पर कर दो वार ।।
पथ प्रशस्त..

अग्नि परीक्षा अब मत देना
नित्य लिखो नूतन इतिहास
अपने हिस्से का सूरज ले
मन में रखना अब विश्वास
नव पीढ़ी को नव्य दिशा दे
शुद्ध करे उनका व्यवहार।।

अनिता सुधीर आख्या

Sunday, December 20, 2020

गजल

 गजल

2122   2122  212

रतजगे वो इश्क़ के भी खूब थे ।
दिलजलों के अनकहे भी खूब थे।।

ख़्वाब पलकों पर सजाते जो रहे,
इश्क़ तेरे फलसफे भी खूब थे ।

अश्क आँखो से बहे थे उन दिनों
बारिशों के फायदे भी खूब थे ।

कब तलक हम साथ यों रहते यहाँ
दरमियाँ ये फासले भी  खूब थे ।

जी रहे तन्हाई में हम क्यों यहाँ
आप के तो कहकहे भी खूब थे ।

Tuesday, December 8, 2020

बंद

*भारत बंद*

अब अहिंसा ये पुकारे
आज तुम भी वार करना

सत्य ने पौधा लगाया
झूठ आकर सींचता है
लहलहाई जो फसल है
वो गरल को खींचता है
जो हवा ने विष भरे हैं
पार कर उससे उबरना।।
अब अहिंसा ये...

ढीठता देखे तमाशा
जब खड़े गद्दार रहते
डगमगा ईमान चलती
खंजरों की मार सहते
अब नियति भी बोलती है
हार थक कर मत कहरना।।
अब अहिंसा ये...

अब सयानों को उबालो
जानते प्रतिवाद जो हैं
मूक बनकर क्यों बधिर हो
अब बजाना नाद जो है
तान चरखे ने उठाई
गीत गाता मत ठहरना।।
अब अहिंसा ...

अनिता सुधीर आख्या