तितली के रंगीन परों सी जीवन में सारे रंग भरे चंचलता उसकी आँखों में चपलता उसकी बातों मे थिरक थिरक क

Saturday, February 13, 2021

प्रेम और बेरोजगारी

#प्रेम और बेरोजगारी

देखो बाली उम्र में, लगा प्रेम का रोग
साथ चाहिए छोकरी,नहीं नौकरी योग ।।

रखते खाली जेब हैं,कैसे दें उपहार।
प्रेम दिवस भी आ गया,चढ़ता तेज बुखार।।

दिया नहीं उपहार जो,कहीं न जाये रूठ।
रोजगार तो है नहीं,उससे बोला झूठ ।।

स्वप्न दिखाए थे उसे,ले आऊँगा चाँद ।
अब भीगी बिल्ली बने,छुप जाऊँ क्या माँद।।

साथ छोड़ते दोस्त भी,देते नहीं उधार ।
जुगत भिड़ानी कौन सी,आता नहीं विचार।।

भोली भाली माँ रही,पूछे नहीं सवाल ।
बात बात पर रार है, करते पिता बवाल।।

नहीं दिया उपहार जो,साथ गया यदि छूट।
लिए अस्त्र तब चल पड़े,करनी है कुछ लूट।

मातु पिता का मान अब ,सरेआम नीलाम।
आये ऐसे दिन नहीं,थामो प्रेम लगाम ।।

रोजगार अरु प्रेम में,सदा रहे ये तथ्य ।
दोनों का ही साथ हो ,जीवन सुंदर कथ्य ।।

अनिता सुधीर आख्या

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