तितली के रंगीन परों सी जीवन में सारे रंग भरे चंचलता उसकी आँखों में चपलता उसकी बातों मे थिरक थिरक क

Sunday, February 28, 2021

इंद्रधनुष

रंग चुरा लूँ धूप से,संग नीर की बूँद।
इंद्रधनुष हो द्वार पर,देखूँ आँखे मूँद।।

तम के बादल छट रहे,दुख की बीती रात।
इंद्रधनुष के रंग ले,सुख की हो बरसात।।

रंगों के इस मेल में,छुपा सुखद संदेश।
इंद्रधनुष बन एक हों,उत्तम फिर परिवेश।।

सात रंग के अर्थ में,कितने सुंदर कथ्य।
धरा गगन जल सूर्य के,लिए हुए हैं तथ्य।।

अनिता सुधीर आख्या

6 comments:

  1. रंग चुरा लूँ धूप से,संग नीर की बूँद।
    इंद्रधनुष हो द्वार पर,देखूँ आँखे मूँद।।
    ....बहुत खूबसूरत पंक्तियाँ। बहुत-बहुत बधाई आदरणीया अनीता जी।

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