तितली के रंगीन परों सी जीवन में सारे रंग भरे चंचलता उसकी आँखों में चपलता उसकी बातों मे थिरक थिरक क

Friday, February 19, 2021

कैक्टस का फूल



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मरुथल में
एक फूल खिला 
कैक्टस का ,
तपते रेगिस्तान में
दूर दूर तक रेत ही रेत ,
वहाँ खिल कर देता ये संदेश
विपरीत स्थितियों में
कैसे रह सकते शेष !
फूल खिला तो सबने देखा ,
पौधे के बारे में किसने सोचा !
स्वयं को ढाल लिया
विपरीत  के अनुरुप
अस्तित्व को बदला कांटो में
संग्रहित कर सके जीवन जल 
और फिर खिल सका पुष्प ।
ऐसे ही नही खिलता 
मानव बगिया मे कोई पुष्प,
माली को ढलना पड़ता है,
परिस्थिति के अनुरूप ।

अनिता सुधीर

8 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 19 फरवरी 2021 को साझा की गई है.........  "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. आ0 रचना को स्थान देने के।लिए हार्दिक आभार

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  2. फूल खिला तो सबने देखा ,
    पौधे के बारे में किसने सोचा !

    इस यथार्थ को कविता में बख़ूबी पिरोया है आपने अनिता जी।
    साधुवाद 🙏

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  3. जी आपके प्रोत्साहन के।लिए हार्दिक आभार

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