तितली के रंगीन परों सी जीवन में सारे रंग भरे चंचलता उसकी आँखों में चपलता उसकी बातों मे थिरक थिरक क

Thursday, June 24, 2021

नीयत



नवगीत


भोली सूरत उर खोटा

नीयत पर चढ़ नीम करेला
बींध रहा कबसे तन मन

प्रश्न निरर्थक डेरा डाले
फाँस बने हैं गरदन की
मर्यादा पर अमर बेल चढ़
घाव बढ़ाती मर्दन की
कंटक के तरुवर को सींचा
पुष्प महकता कब उपवन।।

क्षुद्र विचारों की गपशप थी
भूल गए वो भावों को
अफवाहों का बाजार गरम
शूल चुभोया पाँवो को
बिल्ली खिसियानी घूम रही
तोड़े छींका हर आँगन।।

काँव काँव के ठेके में है
भोली सूरत उर खोटा
गिरगिट लज्जा से देख रहा
नाम बड़ा दर्शन छोटा
वैचारिक अतिक्रमण का फिर
ध्वजा लिए चलता अनबन।।

अनिता सुधीर आख्या











Sunday, June 20, 2021

महर्षि पतंजलि

 

मदिरा सवैया

*महर्षि पतंजलि*


पावन भू पर जन्म लिए,मुनि भारत गौरव गान लिखे।
दर्शन योग पतंजलि का,ऋषि धातु रसायन मान लिखे।।
योग विधान प्रसिद्ध हुआ,परिभाषित सूत्र महान लिखे।।
भाष्य विवेचन सार लिखे,वह संस्कृति का अवदान लिखे।।

अष्ट प्रकार सधे तन ये,छह दर्शन में उत्थान लिखे।
औषधि वैद्य पितामह थे,तन साधन का तप ज्ञान लिखे।।
जो उपचार किए मन का,मन चंचल का वह ध्यान लिखे।
रोग विकार मिटा जग का,वह भारत की  पहचान लिखे।।

अनिता सुधीर आख्या

Thursday, June 10, 2021

सैनिक


*सैनिक*
आल्हा छन्द 

*
शब्दों की सीमा सोच रही, कैसे लिख दूँ सैनिक आज।
कर्तव्यों की वेदी पर जो,पहने हैं काँटों का ताज।।

वीरों की धरती है भारत,थर थर काँपे इनसे काल।
संकट के जब बादल छाए, रक्षा करते माँ के लाल।।

रात जगी पहरेदारी में, देख रही है सोया देश।
मित्र बना कर बारूदों को,वीर सजाते फिर परिवेश।।

रिपु को धूल चटाना हो या,नागरिकों का रखना ध्यान।
विपदा कैसी भी आ जाए,हँस कर देते हैं बलिदान।।

हिमकण की ओढ़ें चादर या ,तपती बालू का शृंगार।
देश बना जब इनका प्रियतम, नित्य ध्वजा से है मनुहार।।

भू रज मस्तक की शोभा है,शौर्य समर्पण है पहचान।
फौलादी तन मन  रख सैनिक ,करते कितने कार्य महान।।


अनिता सुधीर