तितली के रंगीन परों सी जीवन में सारे रंग भरे चंचलता उसकी आँखों में चपलता उसकी बातों मे थिरक थिरक क

Sunday, August 8, 2021

महिला हॉकी

पावन मंच को सादर नमन

गीतिका-

पायलों की रुनझुनों में,काल की टंकार हो तुम।
नीतियों की सत्यता में,स्वर्ण का आधार हो तुम।।

खो रहा अस्तित्व था जब, लुप्त होती भावना में,
आस का सूरज जगाए,भोर का उजियार हो तुम।।

जब छिपी सी धूप होती,तब लड़े वो बादलों से
लक्ष्य की इस पटकथा में,भाल का शृंगार हो तुम।।

साधनों की रिक्तता में,हौसले के साज रखती
खेल टूटी डंडियों में,प्रीति का अँकवार हो तुम।

रच रहा इतिहास नूतन,स्वप्न अंतर में सँजोये
कोटि जन के भाव कहते,देश का आभार हो तुम।।

अनिता सुधीर आख्या


16 comments:

  1. बहुत सुंदर । सच गर्व है हमें अपने देश के हर खिलाड़ी पर ।

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  2. आपकी लिखी रचना सोमवार 9 ,अगस्त 2021 को साझा की गई है ,
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    संगीता स्वरूप

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  3. ओजपूर्ण रचना।

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  4. महिला हॉकी खिलाड़ियों के सम्मान में बहुत सुंदर भावपूर्ण तथा प्रेरक रचना।

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  5. आशा का संचार करती बहुत सुंदर रचना।

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  6. पायलों की रुनझुनों में,काल की टंकार हो तुम।
    नीतियों की सत्यता में,स्वर्ण का आधार हो तुम।।
    कोमलांगी बेटियों केलिए बहुत प्रेरक रचना अनीता जी |इनके साहस को सदैव नमन है |

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  7. रच रहा इतिहास नूतन,स्वप्न अंतर में सँजोये
    कोटि जन के भाव कहते,देश का आभार हो तुम।।
    सही कहा आज इन बेटियों का आभारी है देश
    बहुत ही लाजवाब सृजन

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  8. हार्दिक आभार आ0

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  9. "काल की टंकार हो तुम " ओज पूर्ण

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