तितली के रंगीन परों सी जीवन में सारे रंग भरे चंचलता उसकी आँखों में चपलता उसकी बातों मे थिरक थिरक क

Saturday, October 2, 2021

पोशाक


लघुकथा
पोशाक


चाय का कप पकड़े आरती किंकर्तव्यविमूढ़ बैठी थी। 
वेदना उसके मुख पर स्पष्ट दृष्टिगोचर थी 
राजेश! क्या हुआ आरती
पत्नी को झकझोरते हुए बोला..
आरती अखबार राजेश की ओर बढ़ाते हुए.
किस पर विश्वास करें ,सगे रिश्तेदार भी ? 
और 
पाँच माह की बच्ची क्या पोशाक पहने ,ये समाज निर्धारित कर दे.
कहते हुए
बेटी के कमरे की ओर चल दी...


अनिता सुधीर आख्या
लखनऊ

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