तितली के रंगीन परों सी जीवन में सारे रंग भरे चंचलता उसकी आँखों में चपलता उसकी बातों मे थिरक थिरक क

Wednesday, October 6, 2021

कहमुक़री


**

1)

तुम बिन जीवन सूना लागे

तुम से ही  साँसों के धागे

गीत बनो मेरे ज्यों मधुकर

का सखि साजन?ना सखि दिनकर ।

2)

बनूँ  तुम्हारी  ही परछाईं ,

तुम बिन होती  है कठिनाई

मेरा जीवन तुमको अर्पण 

का सखि साजन?ना सखि दर्पण।।


3)

क्लांत चित्त को शांत करे जो

पल में धमके नहीं डरे वो

मिली प्रीति की फिर से थपकी

का सखि साजन! ना सखि झपकी।।


4)

बिन उसके अब रहा न जाए

जग में ज्यों अँधियारा छाए

गुण गान करूँ उसकी महिमा

का सखि साजन! ना सखि चश्मा।।


5)


वादों का नित जाल फैलाए

उसकी बातों में फँस जाए

बड़ा सयाना कब कुछ देता

का सखि साजन, ना सखि नेता।।


6)


कहाँ मना करने पर माने

नींद खड़ी रहती सिरहाने

हर पल सुनते उसकी खरखर 

का सखि साजन, ना सखि मच्छर।।


7)


उसकी माया के बंधन में

निशिदिन बीते ध्यान मनन में

उस पर जीवन है न्यौछावर

का सखि साजन, ना सखि तरुवर।।


8)


रिक्त हृदय में विश्वास भरे

जीवन में फिर से आस भरे

तन मन की वह हरता पीड़ा

का सखि साजन, ना सखि क्रीड़ा।।


9)


हाथ पकड़ नित संबल देते

उड़ने को तब अम्बर देते 

जब भी थी जीवन की झंझा

का सखि साजन, ना सखि मंझा।।


10)


स्वर्णिम पल जीवन में लाए

झोली भर के सुख दे जाए

उससे ही सजती उर वीथिका

का सखि साजन, ना सखि जीविका।



अनिता सुधीर

5 comments: