तितली के रंगीन परों सी जीवन में सारे रंग भरे चंचलता उसकी आँखों में चपलता उसकी बातों मे थिरक थिरक क

Wednesday, January 12, 2022

मैं विवेकानंद...




मैं .......विवेकानंद बोल रहा हूँ

मैं बदलता भारत देख रहा हूँ

मैं युवा भारत की आहट सुन रहा  हूँ

मैं ये सोच आनंदित हो रहा हूँ 

   कि तुम

लक्ष्य निर्धारित कर ,कर्म पथ पर बढ़ चले हो

मार्ग में शूल हैं पर निडर चलते चले हो

सर्वस्व न्योछावर करने को तत्पर खड़े

सपनोँ को पूरा करने की ऊँची उड़ान भरे हो


मुझे तुम पर पूरा विश्वास है ,

पर

कभी ये देख काँप जाता हूँ

जब तुम्हें नशे की गिरफ्त में पाता हूँ

नारी का अपमान सहन न कर पाता हूँ

भ्रष्टाचार में लिप्त तुम्हें देख नहीं पाता हूँ

अपशब्द देश के लिये सुन नही पाता हूँ

हिंदी की अवस्था पर घबरा जाता हूँ।

संस्कृति के पतन पर व्यथित हो जाता हूँ



मैं  युवा भारत से आह्वान करता हूँ 

सांस्कृतिक विरासत को सहेज आगे बढ़ो

चरित्र निर्माण,पौरुष में सतत लगे रहो

तुम्हारे नाम पर भी दिवस के नाम  हो

सत्कर्म करो ऐसे, जग मे अमर  रहो

मैं ........विवेकानंद  आह्वान करता हूँ



अनिता सुधीर आख्या

18 comments:

  1. देश के युवाओं का आवाहन करती सुंदर रचना

    ReplyDelete
  2. सकारात्मक सोच एवं सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती हुई पंक्तियाँ 💐💐💐🙏🏼

    ReplyDelete
    Replies
    1. सादर आभार दीप्ति जी

      Delete
  3. अत्यंत ओजपूर्ण सृजन 🙏🙏💐💐

    ReplyDelete
  4. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बृहस्पतिवार (13-1-22) को "आह्वान.. युवा"(चर्चा अंक-4308)पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
    --
    कामिनी सिन्हा

    ReplyDelete
  5. आशा और विश्वास से भरी पंक्तियाँ

    ReplyDelete
  6. बेहतरीन रचना आदरणीया

    ReplyDelete
  7. अद्भुत सखी जैसे स्वामी जी की आत्मा आहत हो कर आह्वान कर रही है।
    बहुत सुंदर सार्थक प्रेरक पोस्ट।
    सस्नेह साधुवाद।

    ReplyDelete
  8. बहुत ही उम्दा रचना

    ReplyDelete
  9. बेहद ओजपूर्ण सृजन।
    सादर।

    ReplyDelete