चौपाई
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भाद्र मास की षष्ठी आयी
हलछठ व्रत सुंदर फलदायी
जन्म दिवस दाऊ का मनता।
पोखर घर के आँगन बनता ।।
शस्त्र अस्त्र हल दाऊ सोहे ।
हलधर की मूरत मन मोहे।।
पुत्रवती महिलाएं पूजें।
मन अँगना किलकारी गूँजे।।
पूजन कर पलाश जारी का।
भोग लगा महुवा नारी का ।।
जोता बोया आज न खाए
तिन्नी चावल दधि सँग भाए।।
दीर्घ आयु संतति की करना।
आशीषों से झोली भरना ।।
वृक्ष पूजना पाठ पढ़ाता ।
संस्कृति का यह मान बढ़ाता।।
#अनिता सुधीर
उत्कृष्ट कविता के माध्यम से हलछठ का सराहनीय वर्णन
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