तितली के रंगीन परों सी जीवन में सारे रंग भरे चंचलता उसकी आँखों में चपलता उसकी बातों मे थिरक थिरक क

Wednesday, August 17, 2022

हलषष्ठी

 

चौपाई

**

भाद्र मास की षष्ठी आयी

       हलछठ व्रत सुंदर फलदायी

जन्म दिवस दाऊ का मनता।

       पोखर घर के आँगन बनता ।।

शस्त्र अस्त्र हल दाऊ सोहे ।

        हलधर की मूरत मन मोहे।।

पुत्रवती महिलाएं पूजें।

     मन अँगना किलकारी गूँजे।।

पूजन कर पलाश जारी का।

        भोग लगा महुवा नारी का ।।

जोता बोया आज न खाए

      तिन्नी चावल दधि सँग भाए।।

दीर्घ आयु संतति की करना।

       आशीषों से झोली भरना ।।

वृक्ष पूजना पाठ पढ़ाता ।

        संस्कृति का यह मान बढ़ाता।।


#अनिता सुधीर

1 comment:

  1. उत्कृष्ट कविता के माध्यम से हलछठ का सराहनीय वर्णन

    ReplyDelete