तितली के रंगीन परों सी जीवन में सारे रंग भरे चंचलता उसकी आँखों में चपलता उसकी बातों मे थिरक थिरक क

Sunday, August 14, 2022

विभाजन

रेडक्लिफ रेखा/विभाजन

एक विभाजन की रेखा ने
पक्के घर को तोड़ दिया।।

वक्ष फुला मतभेद नचाता
धर्मों की आपाधापी
चला कुदालें फिर खाई में
नींव नापता था पापी
पीर अभी तक क्रंदन करती
युग ने तथ्य मरोड़ दिया।
एक विभाजन...

आँगन की दीवारें सिसकें
टूटा जब अंक खिलौना
गेहूँ-बाली ढूँढ़ रही थी
माटी का वही बिछौना
खड़े खेत खलिहान पुकारें
क्यों मुझको अब छोड़ दिया।।
एक विभाजन..

सीमाओं की कानाफूसी
मानचित्र अब तक सहता
रोकर कोरा पृष्ठ कराहा
भूगोल बदल दो!कहता
हृद विदीर्ण कर रेखा पूछे
वक्र मार्ग क्यों मोड़ दिया।।
एक विभाजन..

अनिता सुधीर आख्या

2 comments:

  1. Ye trasdi sahne Wale bhi bayan nahi kar saktey,sunder rachna.

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