स्कन्द माता के चरणों में पुष्प
पंचम तिथि माँ स्कंद का,पूजन नियम विधान है।
भक्तों का उद्धार कर, करतीं कष्ट निदान है।।
तारकसुर ब्रह्मा जपे, माँग लिए वरदान में।
अजर-अमर जीवित रहूँ,मृत्यु न रहे विधान में।।
संभव ये होता नहीं,जन्म मरण तय जानिये।
शिव-सुत हाथों मोक्ष हो,मिले मूढ़ को दान ये।।
मूर्ति वात्सल्य की सजे,कार्तिकेय प्रभु गोद में।
संतति के कल्याण में,जीवन फिर आमोद में।।
सिंह सवारी मातु की,चतुर्भुजी की भव्यता।
शुभ्र वर्ण पद्मासना,परम शांति की दिव्यता।।
जीवन के संग्राम में,सेनापति खुद आप हैं।
मातु सिखाती सीख ये, बुरे कर्म से पाप हैं।।
ध्यान वृत्ति एकाग्र कर,शुद्ध चेतना रूप से।
पाएं पुष्कल पुण्य को,पार लगे भवकूप से।।
अनिता सुधीर
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