तितली के रंगीन परों सी जीवन में सारे रंग भरे चंचलता उसकी आँखों में चपलता उसकी बातों मे थिरक थिरक क

Friday, October 21, 2022

दोष


दोष

पुरुषों को बड़ी आसानी
से सब दोष दे देते हैं
माँ-बेटी-बहन क्या तुम्हारे घर में
नही कह देते हैं...
क्या कहोगे जब
नारी ही नारी की दुश्मन बन जाए
बाग का माली ही 
कलियों का भक्षक बन जाए।
नारी होकर जब नारी ही
नारी का मर्म समझ न पायी
कर सारे कृत्य घिनौने 
उसको लज्जा कब आयी
सारी नारी जाति को 
शर्मिंदा कर के रख दिया
सीता दुर्गा के देश मे 
जब नंगा खेल रच दिया 
समाज कहाँ जा रहा,
क्या है परिवार के मायने
अब कौन कहाँ सुरक्षित है
यक्ष प्रश्न है सामने ..

अनिता सुधीर आख्या

Thursday, October 13, 2022

करवा चौथ



पावन परिणय में बँधे
साथ चले मनमीत।

सात जन्म के प्यार को ,
बाँधा तेरे साथ 
रचा प्रेम अनुभूतियाँ
थामा प्रियतम हाथ
बंधन जन्मों का रहे
मधुरिम प्रणय पुनीत।
पावन परिणय में बँधे
साथ चले मनमीत।।

पीहर से पी-घर चली,
स्वप्न सुनहरे बाँध
मन मंदिर में साजना
मिले तुम्हारा काँध
प्रेम-कवच विश्वास का 
संबंधों की जीत
पावन परिणय में बँधे
साथ चले मनमीत।

प्रेम सरिस दूजा नहीं 
यही प्रणय का सार
हृदय प्रेम परिपूर्णता
सजा सकल संसार
मन कोयल-सा कूकता 
अंग-अंग संगीत।
पावन परिणय में बँधे
साथ चले मनमीत।।


अनिता सुधीर आख्या

Sunday, October 9, 2022

शरद पूर्णिमा

 शरद पूर्णिमा की रात में

अमृत बरसता रहा ,

मानसिक प्रवृतियों के द्वंद में 
कुविचारों के हाथ 
लग गया अमृत ...
अब वो अमर होती जा रहीं हैं...


अनिता 

Wednesday, October 5, 2022

विजया दशमी

विजया दशमी

क्वार मास की तिथि दशम,शुक्ल पक्ष शुभ मानिए।
विजया दशमी पर्व के,गूढ़ अर्थ को जानिए।।

त्योहारों का आगमन,जीवन को संदेश दें।
करें समाहित श्रेष्ठता,उत्तम शुभ परिवेश दें।।

हर्ष और उल्लास ले, फसल पकी है खेत में।
शौर्य उपासक मंत्र से, समृद्ध लाभ निकेत में।।

पंडित ज्ञानी रूप ले,शीश अहं के दस खड़े।
जग के सभी विकार से,अंतस कब अरि से लड़े।।

मानव पुतला मात्र है, समझ जगत की रीति को।
क्षण भर में धू-धू जले, लिए बुराई नीति को।।

राक्षस दैत्य प्रतीक में, छल का वध प्रतिवर्ष है।
आदिशक्ति की साधना,सद्गुण का उत्कर्ष है।।

सत्य सदा ही जीतता, नैतिकता आधार में।
मर्यादा में हो मनुज, राम जीवनी सार में।।

विजय पर्व संदर्भ में,आयुध पूजन कीजिए।
नया कार्य आरंभ कर, लक्ष्य जीत का लीजिए।।

शिव जी खग के रूप में, हरें प्रभो के पाप तब।
नीलकंठ दर्शन फलित, मिटे हृदय संताप सब।।

रावण को क्यों मारते, राम रहा अब कौन है।
प्रश्न विचाराधीन यह, उत्तर कबसे  मौन है।।

प्रतिदिन चलता युद्ध अब,उर के रावण-राम में।
विजय राम की नित्य हो, पावन अंतस धाम में।।

सार्थक होंगे अर्थ तब,विजया दशमी पर्व में।
सत्य नीति हो कर्म में, हृदय राममय गर्व में।।


अनिता सुधीर आख्या