विजया दशमी
क्वार मास की तिथि दशम,शुक्ल पक्ष शुभ मानिए।
विजया दशमी पर्व के,गूढ़ अर्थ को जानिए।।
त्योहारों का आगमन,जीवन को संदेश दें।
करें समाहित श्रेष्ठता,उत्तम शुभ परिवेश दें।।
हर्ष और उल्लास ले, फसल पकी है खेत में।
शौर्य उपासक मंत्र से, समृद्ध लाभ निकेत में।।
पंडित ज्ञानी रूप ले,शीश अहं के दस खड़े।
जग के सभी विकार से,अंतस कब अरि से लड़े।।
मानव पुतला मात्र है, समझ जगत की रीति को।
क्षण भर में धू-धू जले, लिए बुराई नीति को।।
राक्षस दैत्य प्रतीक में, छल का वध प्रतिवर्ष है।
आदिशक्ति की साधना,सद्गुण का उत्कर्ष है।।
सत्य सदा ही जीतता, नैतिकता आधार में।
मर्यादा में हो मनुज, राम जीवनी सार में।।
विजय पर्व संदर्भ में,आयुध पूजन कीजिए।
नया कार्य आरंभ कर, लक्ष्य जीत का लीजिए।।
शिव जी खग के रूप में, हरें प्रभो के पाप तब।
नीलकंठ दर्शन फलित, मिटे हृदय संताप सब।।
रावण को क्यों मारते, राम रहा अब कौन है।
प्रश्न विचाराधीन यह, उत्तर कबसे मौन है।।
प्रतिदिन चलता युद्ध अब,उर के रावण-राम में।
विजय राम की नित्य हो, पावन अंतस धाम में।।
सार्थक होंगे अर्थ तब,विजया दशमी पर्व में।
सत्य नीति हो कर्म में, हृदय राममय गर्व में।।
अनिता सुधीर आख्या