तितली के रंगीन परों सी जीवन में सारे रंग भरे चंचलता उसकी आँखों में चपलता उसकी बातों मे थिरक थिरक क

Friday, July 7, 2023

याचना

याचना

याचना कब अकेले 
जीवित रह पाती है 
डर ,आशंका, लोभ
कामना के हिंडोले 
पर झूलती नजर आती है
गर्भ से ही सीख कर
मनुज आता है ..याचना
जब संतति कामना हेतु 
माँ करती है याचना ..
परिणाम के लिये 
करते सभी याचना ,
मन की दुर्बलता में 
अनहोनी की आशंका में
अधिक पाने के लोभ में 
मनुज करता याचना ..
याचना प्रभु चरणों में 
विश्वास और संबल बनती ..
मनुज की मनुज से 
स्वार्थ वश याचना 
भीख ही कहलाती 
और दुर्बल बना जाती ।
क्या श्रेष्ठ को करनी पड़ी है याचना ....
यदि करनी ही है याचना तो 
क्षमा याचना सीख लें

अनिता सुधीर

4 comments:

  1. याचना के अनेक रूप हैं कभी यातना वश,कभी स्वार्थ वश तो कभी ग्लानिवश इन्सान याचना करने के लिए विवश है ।मन की दुर्बलता कई बार कुछ अपराध ना होने पर भी याचना को विवश कर देती हैं 🙏

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  2. बहुत खूबसूरत रचना

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