तितली के रंगीन परों सी जीवन में सारे रंग भरे चंचलता उसकी आँखों में चपलता उसकी बातों मे थिरक थिरक क

Sunday, May 19, 2024

गीतिका

गीतिका 

झूठ को सीढ़ियों पर चढ़ाने लगे।
पाठ नित ही नया फिर पढ़ाने लगे।।

मानते जो स्वयं को सदा श्रेष्ठ ही
पात्र ख़ुद को हॅंसी का बनाने लगे।।

मूर्खता कर अहं को बढ़ा जो रहे
त्यौरियाॅं हर समय वह चढ़ाने लगे।।

सत्यता को परख बोलते जब नहीं
गिनतियाॅं दुश्मनों की बढ़ाने लगे।।

मौन धारण करे बात बनती नहीं
जब हठी नित्य अपनी चलाने लगे।।

अनिता सुधीर आख्या

2 comments:

  1. कितनी अच्छी गीतिका।
    सुंदर शब्द चयन सुंदर भाव!

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    1. धन्यवाद सखी

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