गीतिका
झूठ को सीढ़ियों पर चढ़ाने लगे।
पाठ नित ही नया फिर पढ़ाने लगे।।
मानते जो स्वयं को सदा श्रेष्ठ ही
पात्र ख़ुद को हॅंसी का बनाने लगे।।
मूर्खता कर अहं को बढ़ा जो रहे
त्यौरियाॅं हर समय वह चढ़ाने लगे।।
सत्यता को परख बोलते जब नहीं
गिनतियाॅं दुश्मनों की बढ़ाने लगे।।
मौन धारण करे बात बनती नहीं
जब हठी नित्य अपनी चलाने लगे।।
अनिता सुधीर आख्या
कितनी अच्छी गीतिका।
ReplyDeleteसुंदर शब्द चयन सुंदर भाव!
धन्यवाद सखी
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