कुष्माण्डा
माँ कुष्मांडा पूजते ,चौथे दिन नवरात्रि के।
वंदन बारम्बार है,चरणों में बल दात्रि के।।
अंधकार चहुँ ओर था,रूप लिया कुष्माण्ड का ।
ऊष्मा के फिर अंश से,सृजन किया ब्रह्मांड का।
अष्ट भुजी देवी लिए,माला निधि की हाथ में।
अमृत कलश की सिद्धियाँ,सदा सहायक क्वाथ में।।
ओज तेजमय पुंज का,सूर्य लोक में धाम है ।
सकल जगत की स्वामिनी,शत शत तुम्हें प्रणाम है।।
शक्ति मिले संकल्प की,चक्र अनाहत ध्यान से।
रहे प्रकाशित दस दिशा,यश समृद्धि सम्मान से।।
अनिता सुधीर आख्या
जय माता दी। अति सुंदर
ReplyDeleteहार्दिक आभार
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