काव्य कूची
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तितली के रंगीन परों सी जीवन में सारे रंग भरे चंचलता उसकी आँखों में चपलता उसकी बातों मे थिरक थिरक क
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Friday, November 15, 2024
देव दीपावली
दीप माला की छटा से,घाट सारे जगमगाएं।
देव की दीपावली है,हम सभी मिल कर मनाएं।।
भक्ति की डुबकी लगाएं,पावनी जल गंग में जब,
दूर करके उर तमस को,दिव्यता की लौ जलाएं।।
अनिता सुधीर आख्या
1 comment:
जितेन्द्र माथुर
November 16, 2024 at 2:03 PM
बहुत सुंदर काव्याभिव्यक्ति
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बहुत सुंदर काव्याभिव्यक्ति
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